MiG-21 को क्यों कहा जाता है फ्लाइंग कॉफिन? कभी अमेरिका भी खाता था खौफ, जानें खासियतें
Army MIG-21 Fighter Jet: साल 1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था. गति के कारण ही तत्कालीन रूस के इस विमान से अमेरिका भी डरता था.
Army MIG-21 Fighter Jet: भारतीय वायुसेना का मिग-21 (MIG-21 Crash) विमान सोमवार (8 मई) की सुबह राजस्थान के हनुमानगढ़ के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान ने सूरतगढ़ से उड़ान भरी थी. पायलट ने पैराशूट की मदद से विमान से कूदकर अपनी जान बचाई. बताया जा रहा है कि मिग-21 के इस हादसे में दो महिलाओं की मौत हो गई है.
मिग-21 रूस के मिकोयान-गुरेविच कंपनी द्वारा डिजाइन किया गया है. मिग-21 की एंट्री भारत में साल 1963 के मार्च महीने में हुई और मिग-21 का पहला बैच भारत पहुंचा. इसके बाद साल 1964 में भारतीय वायुसेना ने इस विमान को ऑपरेट किया. भारत की कई अहम लड़ाईयों में मिग-21 का बड़ा योगदान रहा है
क्या है मिग-21 की खासियतें?
साल 1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था. इसकी स्पीड के कारण ही तत्कालीन सोवियत संघ के इस लड़ाकू विमान से अमेरिका भी डरता था. इस विमान को बलालैका के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह रुसी संगीत वाद्य यंत्र ऑलोवेक की तरह दिखता था.
यह इकलौता ऐसा विमान है जिसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है. मिग-21 इस समय भी भारत समेत कई देशों की वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहा है. पिछले 60 सालों में भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा उड़ाए गए सभी वेरिएंट सहित विमान, 1971 के बांग्लादेश युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध और बालाकोट एयरस्ट्राइक का हिस्सा रहे हैं.
क्यों कहा जाता है फ्लाइंग कॉफिन?
अगर दुर्घटनाग्रस्त विमान की बात की जाए तो अब तक देश में मिग 21 के 490 विमान दुर्घटनाग्रस्त या क्रैश हो चुके हैं. इसके क्रैश रिकॉर्ड को देखते हुए इसे फ्लाइंग कॉफिन (उड़ता ताबूत) नाम दिया गया है. इसकी गति के कारण ही तत्कालीन रूस के इस मिग-21 से अमेरिका भी काफी डरता था. वहीं मौजूदा दौर की बात करें, तो इस वक्त करीब 50 मिग-21 विमान सेवा में बने हुए हैं. यह अगले दो साल में चरणों में सेवा से हटा दिए जाएंगे.
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