(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सेना ने कहा- विदेश से हथियार और दूसरे साजो-सामान लेने पर नहीं है कोई प्रतिबंध
सहथलसेना प्रमुख ने डिफेंस इंटस्ट्री के वेबिनार में कहा कि सेना पर विदेश से हथियार लेने पर नहीं कोई प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि बढ़िया तकनीक मिलेगी तो सैन्य साजो सामान विदेश से भी ले सकते हैं.
नई दिल्ली: सेना ने आज सफाई दी कि अगर उन्नत किस्म के हथियार और दूसरे साजो-सामान विदेश से मिलते हैं तो आयात करने में कोई गुरेज नहीं है. क्योंकि उन्नत किस्म के सैन्य साजो सामान लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
सह-थलसेना प्रमुख (वाइस चीफ), लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी शुक्रवार को एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान उन्हें कहा कि रक्षा मंत्रालय ने जो हाल ही में आयात-प्रतिबंध सूची (इम्पोर्ट बैन लिस्ट) जारी की है उसमें सशस्त्र सेनाओं को विदेशी तकनीक को खरीदने के लिए प्रतिबंध नहीं किया गया है. ये वेबिनार सोसायटी फॉर इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एलआईडीएम) द्वारा आयोजित किया था, जिसमें वाइस चीफ मुख्य-वक्ता थे. इस वेबिनार का थीम था ‘भारतीय सेना की पूंजी और राजस्व आवश्यकताओं में अवसर’.
अपने भाषण के दौरान, ले. जनरल सैनी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘आत्मनिर्भर’ होने के आहवान का स्वागत किया. उन्होनें कहा कि 17 मई को वित्त मंत्री द्वारा रक्षा-क्षेत्र में किए गए सुधारों से भारत की रक्षा नीति और उत्पादन पर एक बड़ा सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा. सह-थलसेना प्रमुख ने जानकारी दी कि इस समय सेना की 80 प्रतिशत कैपेबिलिटी-डेवलपमेंट और 92 प्रतिशत बजट स्वदेशी साजो-सामान और सेवाओं पर खर्च हो रहा है. उन्होनें कहा कि रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को 49 से 74 प्रतिशत बढ़ाना एक ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकता है.
ले.सैनी के मुताबिक, हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने एक आयात करने वाले सामानों की निगेटिव-लिस्ट तैयार की है जिससे स्वदेशी कंपनियों को सेनाओं की आवश्यकतों को पूरा करने का मौका मिलेगा. साथ ही सेना अब अपनी जरूरतों के लिए सरकारी संस्था, ओएफबी (ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड) की बजाए प्राईवेट कंपनियों पर भी निर्भर हो सकती है. उन्होनें उम्मीद जताई कि निकट भविष्य में प्राईवेट कंपनियां सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए गोला-बारूद भी बनाना शुरू कर दें जो अभी तक सिर्फ आयात किया जाता है.
आपको बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने के आहवान पर रक्षा मंत्रालय ने एक लिस्ट जारी की थी जिसमें दिए गए स्पेयर-पार्ट्स इत्यादि सामानों को मेक इन इंडिया के तहत बनाए जाने पर जोर दिया गया था और सेनाओं की आपूर्ति के लिए इन्हीं सामानों को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी. लेकिन वाइस चीफ ने साफ कर दिया कि इस लिस्ट के बनने के बावजूद अगर सेनाओं को उत्तम तकनीक विदेशों से मिलती है तो उस पर विचार किया जा सकता है. हालांकि, आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय की इस लिस्ट में जैमिनी-बोट को अगर छोड़ दें तो इंजन, स्पेयर-पार्ट्स और नट-बोल्ट ही ज्यादा इस लिस्ट का हिस्सा हैं. किसी भी तरह का हथियार, गोला-बारूद, लड़ाकू विमान या युद्धपोत इस लिस्ट का हिस्सा नहीं है.
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