मुंबई: देश के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो आदमी कुछ भी कर सकता है. ऐसे ही महाराष्ट्र के सतारा में रहने वाले एक आर्मी के जवान की कहानी लोगों को अचंभित करती है साथ ही प्रेरणा भी देती है. इस देश के सच्चे सिपाही का नाम है किरण गावंड. किरण ने जब मिलिट्री की नौकरी ज्वाइन की तो उन्होंने देश की सेवा करने का पूरा जज्बा रखा लेकिन विभाग से सैलरी लेने के लिए मना किया. साथ ही निवेदन किया कि उनकी सैलरी को आर्मी के हितो में या जरूरतमंद जवानों की सेवा में लगाई जाए. किरण ने सेना में नौकरी लगने के बाद रिटायरमेंट तक कोई सैलरी नही ली.


किरण गावंड को पुरानी चीजों का संग्रह करने का शौक था. उन्होंने अपना यह शौक कभी खत्म नहीं होने दिया. उन्होंने महाराष्ट्र की सभ्यता से जुड़ी तमाम पुरातनकालीन चीजों का संग्रह किया. उनके संग्रह में सबसे ज्यादा जो सामान है, वो छत्रपति शिवाजी के समय के हैं. इसमें तमाम हथियार, तोप, बर्तन जैसी अनेक चीजों का संग्रह शामिल था, लेकिन अब किरण गावंड ने इन सभी चीजों को एक जगह रखने के लिए सातारा के प्रसिद्ध स्थान ठोसेघर में एक संग्रहालय बनाया है. जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. यहां लोग आकर पुरातनकालीन इन सामानों को देख सकते हैं.



यहां आने वाले लोगों को संग्रहालय बेहद पसंद आ रहा है. महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों के रोम रोम में छत्रपति शिवाजी महाराज बसे हैं. यहां जब लोग आकर छत्रपति शिवाजी के समय के हथियारों और सामानों को देखते हैं तो बहुत रोमांचित होते हैं. ये संग्रहालय जहां किरण गावंड ने बनाया है वहां पहले उनके दादा की समाधि थी जिसे उन्होंने संग्रहालय में तब्दील कर दिया है.


किरण गावंड के मुताबिक उनका परिवार शुरू से ही बहुत संपन्न रहा है, उनके पिता ने उन्हें इसी शर्त पर मिलिट्री में नौकरी करने की इजाजत दी थी कि वो सैलरी के लिए देश की सेवा नही करेंगे. यही वजह थी कि किरण गावंड ने दस साल तक मिलिट्री में नौकरी करते हुए कभी सैलरी नहीं ली. आज उनका शौक संग्रहालय में तब्दील हो गया है इसकी किरण गावंड को बेहद खुशी है.


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