नई दिल्ली: सेना ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को एक सिरे से खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि चीनी सेना एलएसी पर और अधिक घुसपैठ करते हुए फिंगर एरिया 2 और 3 में पहुंच गई है. ये रिपोर्ट लद्दाख के एक पूर्व सांसद के बयान पर आधारित थी. लेकिन ना केवल सेना बल्कि सरकार की आधिकारिक पीआईबी फैक्ट-चैक साइट ने भी सेना के हवाले से इस खबर को फर्जी बताया है.
दरअसल, पिछले छह महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. इस टकराव की शुरूआत पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर में फिंगर एरिया से ही हुई थी, जब चीनी सेना ने फिंगर 4 पर आकर कब्जा कर लिया था. इस कब्जे को लेकर भारत और चीन के सैनिकों के बीच 5-6 मई को जमकर मारपीट और पत्थरबाजी हुई थी. इस झगड़े का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को खदेड़ते हुए दिखाई पड़े रहे थे और चीनी सैनिक फिंगर 4 में अपनी गाड़ियां छोड़कर उंचे पहाड़ों पर भाग खड़े हुए थे. फिंगर 4 काफी बड़ा एरिया है जहां पर चीनी सेना ने अपना एक कैंप भी लगा लिया था.
5-6 मई के झगड़े के बाद से भारत ने कोर कमांडर स्तर की बातचीत में चीनी सेना को फिंगर 4 से पीछे हटने के लिए कहा था. चीनी सेना ने अपना कैंप तो फिंगर नंबर 4 से हटा लिया लेकिन अपने कुछ सैनिकों को फिंगर 4 की रिज-लाइन पर छोड़ दिया था ताकि वो भारत के अधिकार-क्षेत्र पर निगरानी रख सकें. फिंगर नंबर 2 पर भारत की एक स्थायी चौकी है, जिसपर आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं. इस चौकी को थनसिंह थापा पोस्ट के नाम से भी जाना जाता है.
कई बार की मीटिंग के बाद भी जब चीनी सैनिक फिंगर 4 की रिज-लाइन से पीछे नहीं हटे तो 29-30 अगस्त की रात को भारतीय सैनिक भी फिंगर नंबर 4 की एक दूसरी रिज लाइन पर जाकर चढ़ गए. ऐसे में भारत और चीन के सैनिकों की पोजिशन बिल्कुल आई-बॉल टू आई-बॉल हो गई.
भारत का दावा फिंगर 8 तक है और यही वजह है कि भारतीय सैनिक मई महीने से पहले तक फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग करते आए थे. हालांकि चीनी सेना भारत की फिंगर 5 से फिंगर 8 तक के बीच में पैट्रोलिंग का विरोध करती आई थी. इसका कारण ये था कि मई महीने से पहले तक चीनी सेना फिंगर 8 के पीछे सिरजैप और खुरनाक फोर्ट में तैनात रहती थी. फिंगर 8 से फिंगर 5 तक का इलाका खाली पड़ा था. वर्ष 1999 में जब भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध में व्यस्त थी तब चीनी सेना ने फिंगर 8 से फिंगर 5 तक एक सड़क बना ली थी. पाकिस्तान से युद्ध में व्यस्त होने के चलते भारत ने चीन की इस सड़क का विरोध नहीं किया था. क्योंकि उस वक्त भारत दो मोर्चों पर लड़ने के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में ये मान लिया गया कि एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल फिंगर 4 और फिंगर 5 के बीच से होकर गुजरती है. लेकिन भारत ने फिंगर 8 तक अपना दावा कभी नहीं छोड़ा.
इस साल मई के महीने से ऐसा लगता है कि चीन एलएसी को फिंगर 4 और 5 के बीच से खिसकाकर फिंगर 3 और 4 के बीच ले जाना चाहता है. जिसके चलते ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच में मई के महीने से ही तनाव बना हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, पिछली कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में (आठवें दौर की मीटिंग) के दौरान चीन ने तनाव खत्म करने के लिए भारत को प्रस्ताव दिया था कि दोनों देशों के सैनिक फिंगर 4 से पीछे हट जाते हैं. लेकिन भारत ने ये प्रस्ताव मानने से इंकार कर दिया है. क्योंकि भारत ने ऐसा किया तो फिंगर 8 से फिंगर 4 तक का इलाका अक्साई-चिन का हिस्सा बन जाएगा और भविष्य में चीनी सेना फिर से इस इलाके पर कब्जा कर सकती है.