(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारतीय सेना ने 12 फास्ट पेट्रोलिंग बोट्स की खरीद को दी मंज़ूरी, पैंगोंग लेक समेत अन्य जलाशयों पर बढ़ेगी निगरानी
अधिकारियों ने बताया कि पैंगोंग झील के साथ पहाड़ी क्षेत्र में अन्य जलाशयों में निगरानी बढ़ाने के मकसद से इन नौकाओं की खरीद की जा रही है. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने एक बयान में कहा कि उसने अत्याधुनिक गश्ती नौका के लिए गुरुवार को भारतीय सेना के साथ एक अनुबंध पर दस्तखत किया है.
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील समेत बड़े जलाशयों में अपनी निगरानी बढ़ाने के लिए 12 अत्याधुनिक पेट्रोल बोट्स (गश्ती नौकाओं) की खरीद के लिए मंज़ूरी दे दी है. यह खरीद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध चल रहा है.
सेना ने कहा है कि उसने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित झीलों समेत विभिन्न जलाशयों में निगरानी और गश्ती के लिए 12 तेज़ गश्ती नौकाओं के लिए सरकारी उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ अनुबंध पर दस्तखत किया है. सेना ने ट्वीट किया, ‘‘आपूर्ति मई 2021 से शुरू हो जाएगी.’’
अधिकारियों ने बताया कि पैंगोंग झील के साथ पहाड़ी क्षेत्र में अन्य जलाशयों में निगरानी बढ़ाने के मकसद से इन नौकाओं की खरीद की जा रही है. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने एक बयान में कहा कि उसने अत्याधुनिक गश्ती नौका के लिए गुरुवार को भारतीय सेना के साथ एक अनुबंध पर दस्तखत किया है. इन नौकाओं में सुरक्षा बलों की जरूरत के अनुरूप विशेष उपकरण लगाए जाएंगे.
जीएसएल ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘जीएसएल, गोवा में इन नौकाओं (क्राफ्ट) का निर्माण किया जाएगा और विशेष सुविधाओं के साथ यह दुनिया की चुनिंदा नौकाओं में होगी.’’ पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने करीब 50,000 से ज्यादा सैन्यकर्मियों को तैनात किया है. अधिकारियों के मुताबिक चीन ने भी इतने ही सैनिकों की तैनाती की है.
25-30 सैनिक कर सकेंगे पेट्रोलिंग नई बोट्स में 25-30 सैनिकों के पेट्रोलिंग के लिए ले जाने की क्षमता होगी. अभी इस्तेमाल होने वाली बोट्स में सिर्फ 10-12 सैनिकों के पेट्रोलिंग क्षमता है. साथ ही इन नई बोट्स में तेज टक्कर सहने की क्षमता होगी, ऐसे में ये क्षमता चीन के बराबर होंगी.
135 किलोमीटर में फैली झील गौरतलब है कि पैंगोंग झील में अगले तीन महीनों तक बर्फ जमी रहेगी. गर्मियों में फिर झील में गश्त शुरू की जाएगी. माना जा रहा है कि तब तक ये बोट्स तैनाती के लिए जाएंगी. गौरतलब है कि करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी, पैंगोंग-त्सो झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है, जिसका एक-तिहाई भाग यानी करीब 40 किलोमीटर भारत के अधिकार-क्षेत्र में है और बाकी दो-तिहाई यानि करीब-करीब 95 किलोमीटर चीन के कब्जे में है. सर्दियों के मौसम में यहां तापमान माइनस (-) 30-40 डिग्री तक गिर जाता है और झील पूरी तरह से जम जाती है.
पैगोंग झील और आसपास के इलाके को रणनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. भारत ने मई की शुरुआत में गतिरोध शुरू होने के बाद से झील के आसपास निगरानी बढ़ा दी है. दोनों सेनाओं के बीच पांच मई को पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प के बाद गतिरोध शुरू हुआ. पैंगोंग झील की घटना के बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में इसी तरह की घटना हुई थी.
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