Krishna Janmabhoomi Case: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मथुरा स्थित शाही ईदगाह का सर्वेक्षण कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए शुक्रवार (15 दिसंबर) को कहा कि यह निर्णय 1991 के पूजास्थल अधिनियम के खिलाफ है. मौलाना मदनी ने तंज कसते हुए कहा, "जब तक यह कानून है तब तक इस तरह के निर्णय ठीक नहीं हैं. ऐसे में इस कानून को खत्म कर दें और फिर जो चाहें वो करें."


उन्होंने कहा कि इस्लाम का उसूल है कि अगर किसी जगह को उजाड़ कर कोई मस्जिद बनाई जाती है तो वह मस्जिद नहीं है. उन्होंने कहा, “हमारा दावा है कि जितनी मस्जिदों पर वे (हिंदू पक्ष) दावा करते हैं, वे सही नहीं हैं और बाबरी मस्जिद को लेकर भी वे सही नहीं थे. बाबरी मस्जिद के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि किसी मंदिर को तोड़कर उस मस्जिद को नहीं बनाया गया था.”


'सर्वेक्षण के फैसले पर उठाए सवाल'


मदनी ने कहा, “कोर्ट ने आस्था की बुनियाद पर बाबरी मस्जिद की जगह को मंदिर बनाने के लिए दे दिया और यह बात साबित हो गई कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी.”


ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट के आदेश पर उन्होंने कहा, "सर्वेक्षण से क्या होता है, सर्वेक्षण तो बाबरी मस्जिद का भी हुआ था. सर्वेक्षण ने ही तो बताया था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी."


'मुस्लिम को नहीं छोड़ना चाहिए दावा'


उन्होंने कहा, "मुसलमानों को इन मस्जिदों पर दावा नहीं छोड़ना चाहिए और आखिर तक कानूनी लड़ाई कोर्ट में लड़नी चाहिए. यह साबित किया जाए कि किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, लेकिन बाबरी मस्जिद मामले में यह साबित नहीं हुआ है. इसलिए मुसलमानों को इन मस्जिदों पर दावा नहीं छोड़ना चाहिए.”


'देश में हलाल का कोई विवाद नहीं'


मदनी ने कहा कि देश में हलाल का कोई विवाद नहीं है. यह विवाद सिर्फ उत्तर प्रदेश में था, जो खत्म हो चुका है. अलग-अलग राज्यों में मांस की दुकानों को बंद करने को लेकर उन्होंने कहा कि खुले में मांस बेचना सही नहीं है. इसकी बिक्री पर्दे में होनी चाहिए या शीशे लगाकर करनी चाहिए, साथ ही साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.


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