Arthur Road Jail News: फिल्मस्टार शाहरूख खान के बेटे आर्यन बीते शनिवार से मुबंई की आर्थर रोड जेल में कैद हैं. उन्हें कम से आने वाले बुधवार यानि कि 20 तारीख तक इसी जेल में रहना है जब एनडीपीएस की विशेष अदालत उनकी जमानत अर्जी पर फैसला सुनायेगी. जिस आर्थर रोड जेल में आर्यन खान कैद हैं उसको भारत की सबसे खतरनाक जेलों में से एक माना जाता है और इसका इतिहास काफी भयंकर रहा है. ये जेल साल 1926 में अंग्रेजों ने बनायी थी. इसका सरकारी नाम सेंट्रल जेल है लेकिन आर्थर रोड पर होने के कारण ये आर्थर रोड जेल नाम से मशहूर हो गयी.
इस जेल को खास बनाते हैं वे हाई प्रोफाईल लोग जो यहां के मेहमान बन चुके हैं. आर्थर रोड जेल की हवा खाने वालों में कई फिल्मस्टार, अंडरवर्लड ड़ॉन, राजनेता, आईपीएस अधिकारी, उद्योगपति और आतंकवादी रह चुके हैं. इन्हीं हाई प्रोफाईल कैदियों की वजह से अक्सर ये जेल खबरों में रहती है.
बई बमकांड का मुकदमा इसी जेल में
12 मार्च 1993 के मुंबई बमकांड का मुकदमा इसी जेल के भीतर बनायी गयी टाडा अदालत में चलाया गया. उसी मुकदमें के दौरान कई बार संजय दत्त इसी जेल में कैद रहे और जब टाडा अदालत ने उन्हें सजा सुना दी तो बाकी की सजा उन्होने पुणे की यरवदा जेल में पूरी की.फिल्मस्टार शाईनी आहूजा भी इस जेल में अपनी गिरफ्तारी के बाद वक्त गुजार चुके हैं. जुलाई 2015 नागपुर की जेल में फांसी दिये जाने से पहले बमकांड का एक और दोषी याकूब मेमन इसी जेल में रहा. 26 जुलाई 2008 के मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकडे गये एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को इसी जेल में रखा गया था. जेल की ही अदालत में उसपर मुकदमा चला और फांसी की सजा सुनायी गयी, हालांकि फांसी देने के लिये उसे पुणे की यरवदा जेल ले जाया गया क्योंकि आर्थर रोड जेल में फांसी दिये जाने का इंतजाम नहीं है.
आंतकवादियों के बाद अब बात करते हैं उन अंडरवर्लड डॉन की जिन्होने इस जेल की सलाखों के पीछे वक्त गुजारा. मुंबई बमकांड समेत तमाम दूसरे मामले में लिस्बन से डीपोर्ट करके लाये जाने पर अंडरवर्लड डॉन अबू सलेम को सबसे पहले इसी जेल की अंडा सेल में रखा गया था. अंडा सेल जेल की हाई सिक्यूरिटी सेल है और इसमें संवेदनशील कैदियों को ही रखा जाता है. अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर को साल 2003 में सारा-सहारा मामले में जब डीपोर्ट करके लाया गया था तब उसे इसी जेल की अंडा सेल में रखा गया. मुंबई का एक खूंखार डॉन और दाऊद इब्राहिम का दुश्मन अरूण गवली भी कई बार इस जेल की हवा खा चुका है. मुंबई गैंगवार का एक और खिलाडी अंडरवर्ल़ड डॉन अश्विन नाईक भी इस जेल में काफी वक्त गुजार चुका है.
हाई प्रोफाईल कैदियों में दिग्गज राजनेता भी
ये एक ऐसी जेल है जिसके कैदी चोर भी बने हैं और पुलिस भी, हीरो भी और विलेन भी. यहां के हाई प्रोफाईल कैदियों में दिग्गज राजनेता भी रहे हैं और पुलिस अधिकारी भी. एनसीपी के नेता और फिलहाल ठाकरे सरकार में मंत्री छगन भुजबल मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद अपने भतीजे समीर भुजबल के साथ इसी आर्थर रोड जेल में ऱखे गये थे. साल 2003 में करोडों के फर्जी स्टांप पेपर घोटाले में जिसे कि तेलगी घोटाला भी कहा जाता है में महाराष्ट्र के कुछ आईपीएस अधिकारी भी बंदी बनकर यहां रह चुके हैं.
इस जेल में मीडिया से जुडी हस्तियां भी कैद हो चुकीं हैं. शीना बोरा केस याद होगा आपको जिसमें मीडिया बैरन पीटर मुखर्जी की पत्नी इंद्राणी मुखर्जी को अपनी बेटी की हत्या के आरोप में साल 2015 में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में जब सीबीआई के पास जांच गयी तो उसने पीटर मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद 4 साल मुखर्जी ने इसी जेल में बिताये.
विवादों में भी रह चुकी है ये जेल
ये जेल अक्सर विवादों में भी रह चुकी है. चूंकि इस जेल में दुश्मन गिरोहों के सदस्य एक साथ रखे जा रहे थे इसलिये अक्सर उनके बीच में खूनी गैंगवार भी हो जाता था जैसे दाऊद गिरोह और छोटा राजन के गिरोह जेल के बाहर तो एक दूसरे के दुश्मन थे ही, जेल के भीतर उनका बैर अपना असर दिखाता था. इसके अलावा चोर-डकैतों के छोटे-मोटे गिरोह भी जेल की चारदीवारी के भीतर आपस में कई बार भिड चुके हैं. जेल में गैंगवार के लिये थाली और चम्मच को घिस कर कैदी उनमें धार पैदा कर लेते थे और उनका हथियार की तरह इस्तेमाल करके एक दूसरे पर हमला करते. अबसे चंद साल पहले मुंबई बमकांड के दो आरोपी मुस्तफा दोसा और अबू सलेम इसी तरह से जेल के भीतर भिड चुके हैं जिसमें धारदार चम्मच से हमला होने पर अबू सलेम घायल हो गया. जेल में गैंगवार की वजह से कई हत्याएं भी हो चुकीं है. अबसे करीब 10-15 साल पहले जेल के भीतर से मोबाईल फोन और ड्रग्स मिलने की खबरें भी आ चुकीं हैं जो जेल के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों के जरिये चारदीवारी के पीछे पहुंच जाते थे. साल 2006 के पहले इस जेल के भीतर भी एक ड्रग रैकेट चलता था जो स्वाति साठे नाम की एक महिला सुपिरिंटेंडेंट ने एक सख्त मुहीम चलाकर बंद करवाया.
इस जेल में ओवरक्राऊडिंग यानी भीड की भी एक समस्या रही है. अगर कोविड काल के पहले की बात करें तो जेल में करीब एक हजार कैदियों के रखे जाने की क्षमता थी लेकिन क्षमता से तिगुने कैदी इसमें रखे जा रहे थे. जेल के भीतर से एक्टोर्शन रैकेट चलने के आरोप भी भूतकाल में लग चुके हैं.
एक वक्त था जब आर्थऱ रोड जेल के बारे में ये कहा जाता था – “मनी मैन जेंटलमैन. नो मंनी मेंटल मैन”.
इसका मतलब है कि जिसके पास पैसा है उसके लिये ये जेल, जेल नहीं रहती थी और जिसके पास पैसा नहीं उसके लिये जेल की चार दीवारी के बीच की दुनिया किसी नर्क से कम नहीं होती. ऐसे आरोप लग चुके हैं कि जेल के भीतर पुराने दबंग कैदी नये आनेवाले अमीर घरानों के कैदियों को प्रताडित करके उनसे वसूली करते हैं. उनके घरवालों तक संदेश भिजवाकर लाखों रूपये मंगवाये जाते थे. हाल ही में एनडीपीएस मामले में गिरफ्तार एक आरोपी के वकील ने अदालत से इसी तरह की शिकायत की है. दूसरी तरफ जेल का प्रशासन का कहना है कि उसकी ओर से जेल की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जाती.
आज के इस ई मेल वाले युग में भी इस जेल के तौर तरीके बाबा आदम के जमाने के हैं. अगर किसी आरोपी को अदालत जमानत देती है तो उसकी जानकारी इस जेल को फैक्स या ईमेल के जरिये नहीं दी जाती बल्कि उस आरोपी के रिश्तेदार या वकील को जेल के बाहर लगे एक डिब्बे में जमानत के कागजात डालने होते हैं. दिन में तीन बार ये डिब्बा खुलता है और जिनके कागजात आ गये होते हैं उन्हें रिहा कर दिया जाता है. आर्यन खान को भी जमानत तब ही मिलेगी जब इस डिब्बे में उनकी जमानत का कागज पहुंचेगा.
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