नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में स्थायी नागरिकता की परिभाषा देने वाले अनुच्छेद 35 A पर आज दोपहर एक बजे सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है. केंद्र को ये बताना है कि बिना संसद में प्रस्ताव पारित किए इस अनुच्छेद को संविधान में कैसे शामिल किया गया? इसे निरस्त करने पर सरकार क्या सोचती है?


सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद के चलते जम्मू-कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और वोट देने का हक नहीं है. साथ ही, जम्मू कश्मीर की महिला कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करने पर राज्य में सम्पति, रोजगार के तमाम हक़ खो देती है. उसके बच्चों को भी स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता.


क्या है अनुच्छेद 35A? यहां समझें
अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के ज़रिए संविधान में जोड़ा गया. ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को अधिकार देता है कि वो राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सके. इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है.


इसका नतीजा ये हुआ कि विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर में बसे लाखों लोग वहां के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते. वो वहां सरकारी नौकरी या कई ज़रूरी सरकारी सुविधाएं नहीं पा सकते. ये लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं. लेकिन राज्य में पंचायत से लेकर विधान सभा तक किसी भी चुनाव में इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है.


इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर की स्थायी निवासी महिला अगर कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करती है, तो वो कई ज़रूरी अधिकार खो देती है. उसके बच्चों को स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता. उन्हें माँ की संपत्ति पर हक नहीं मिलता. वो राज्य में रोजगार नहीं हासिल कर सकते.