नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को भेजे जाने के बाद से अनुच्छेद 35A को लेकर कही तरह की अटकलें लगाई जा रही है. मौजूदा हलचल पर मोदी सरकार का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इस बीच खबर है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35A पर सुप्रीम कोर्ट में इसी महीने सुनवाई हो सकती है.


सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय अनुच्छेद 35A को लेकर अपना पक्ष रखेगा. मोदी सरकार में गृहमंत्रालय ने अभी तक इस मसले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा है. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय अनुच्छेद 35A की सुनवाई में अब तक के पक्ष से अलग रुख ले सकता है. पहले की सरकारों का पक्ष था कि राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 35A को लागू करने का अधिकार है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार कह सकती है कि राष्ट्रपति के पास 35A लागू करने का अधिकार नहीं है. ये अब तक का सबसे बड़ा और अलग रुख होगा. हालांकि राष्ट्रपति के अधिकार पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट करेगा.


क्या है अनुच्छेद 35A?


अनुच्छेद 35A जम्मू कश्मीर को सबसे बड़ा यह अधिकार देता है कि स्टेट के परमानेंट नागरिक कौन होंगे. कश्मीर का परमानेंट रेसिडेंट लॉ ऐसे लोग जो यहां के स्थायी नागरिक नहीं है, उन्हें कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने इत्यादि से रोकता है.यह आर्टिकल जम्मू कश्मीर राज्य को अधिकार देता है कि कोई महिला अगर किसी दूसरे स्टेट के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी कश्मीरी नागरिकता छीन ली जाए. हालांकि, साल 2002 में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक शादी करने वाली महिला की नागरिकता खत्म नहीं की जाएगी, लेकिन उनके होने वाले बच्चों को यह अधिकार नहीं मिलेगा.


अनुच्छेद 35A को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसी पर केंद्र की सरकार अपना जवाब देगी. ध्यान रहे कि बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35A खत्म करने का वादा किया है. अब जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की है. अमरनाथ यात्रियों से लौटने के लिए कहा है तो अटकलें लगाई जा रही है कि मोदी सरकार अनुच्छेद 35A पर फैसला ले सकती है.


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जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां अनुच्छेद 35A में किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं चाहती है और इसका विरोध कर रही है. आज नेशनल कांफ्रेंस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की और मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा की.


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राज्यपाल से मुलाकात के बाद उमर ने कहा, “उन्होंने (राज्यपाल) हमें आश्वासन दिया कि अनुच्छेद 370 या अनुच्छेद 35 ए (रद्द किए जाने पर) या परिसीमन (राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों की) पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. ”


वहीं राज्यपाल कार्यालय ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों में किसी तरह के बदलाव के बारे में राज्य को कोई जानकारी नहीं है और इसलिए सैनिकों की तैनाती के इस सुरक्षा मामलों को अन्य सभी प्रकार के मामलों के साथ जोड़ कर बेवजह भय नहीं पैदा किया जाना चाहिए.