श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 35A के तहत मिलने वाले स्पेशल स्टेटस को हटाने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. इस बीच श्रीनगर के पांच जोनल एसपी को आदेश दिया गया है कि वह शहर में मौजूद सभी मस्जिदों और इसके मैनजमेंट कमेटी की लिस्ट दें.
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने रविवार को जोनल एसपी को भेजे गए आदेश में कहा, ''कृपया अपने कार्यालय से संबंधित अधिकार क्षेत्र के अनुसार मस्जिदों और उनके प्रबंधन की जानकारी दें, ताकि उच्च अधिकारियों को तुरंत यह दिया किया जा सके.''
शनिवार को ही जम्मू-कश्मीर के बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वह कम से कम अगले चार महीने का राशन इकट्ठा कर लें. यही नहीं आरपीएफ के अधिकारी ने कहा कि 'लंबे समय तक' कश्मीर घाटी में 'बिगड़ती स्थिति के पूर्वानुमान' के मद्देनजर अन्य उचित कदम उठाएं. हालांकि रेलवे ने अधिकारी के इस आदेश को लेकर सफाई दी है. रेलवे ने कहा कि अधिकारी के पास इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है.
इन आदेशों की कॉपी सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं और इसे 35 A को खत्म किये जाने की ओर कदम बताया जा रहा है. अनुच्छेद 35A जम्मू कश्मीर को सबसे बड़ा यह अधिकार देता है कि स्टेट के परमानेंट नागरिक कौन होंगे. कश्मीर का परमानेंट रेसिडेंट लॉ ऐसे लोग जो यहां के स्थायी नागरिक नहीं है, उन्हें कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने इत्यादि से रोकता है.
हाल के दिनों में 35A को लेकर अटकलें तेज होने की बड़ी वजह है कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए हैं. हालांकि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां 35A लागू रखने के पक्ष में है.
अधिकारियों की ओर से जारी हालिया आदेश को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि घाटी के लोगों में डर के लिए दोष देना आसान है. लेकिन अधिकारिक आदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर पूर्वानुमान लगाया जा रहा है और अधिक समय तक हालत खराब रहने की भविष्यवाणी की जा रही है. सरकार चुप क्यों है?
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वहीं पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘‘हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में लोगों के बीच दहशत फैल गयी है. मैंने डॉ. फारूक अब्दुल्ला साहब से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. एक साथ होकर काम करने और एकजुट जवाब देने की जरूरत है . हम कश्मीरियों को साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है.’’
मस्जिदों की लिस्ट मांगे जाने पर मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने कहा कि मस्जिदों और उनके प्रबंधन का विवरण देने का आदेश धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है.