Article 370 Abrogation: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देने वाले लेक्चरर के निलंबन पर नाराजगी जताई है. जम्मू कश्मीर (आर्टिकल 370 हटाए जाने के पहले) की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ये तो बस शुरुआत है.
जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने सीनियर लेक्चरर जहूर अहमद भट को 25 अगस्त को नौकरी से निलंबित कर दिया था. उनके ऊपर जम्मू और कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियमावली 1971 के उल्लंघन का आरोप है. भट पर ये कार्रवाई ऐसे समय की गई जब एक दिन पहले 24 अगस्त को वे अनुच्छेद 370 के खात्मे से संबंधी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष के रूप में पेश हुए थे.
'हर कश्मीरी सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता'
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर कहा, 'ये बस शुरुआत है. अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को चुनना होगा. या तो मूक दर्शक बने रहें और अपनी आजीविका, नौकरियां और ज़मीन छीनते हुए देखें या अपनी आवाज़ उठाने के लिए सामने आएं. यह घातक परिणामों से भरी पसंद है. हर कश्मीरी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का जोखिम नहीं उठा सकता.'
सुप्रीम कोर्ट में उठा मामला
सोमवार (28 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही संविधान पीठ अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकट रमानी से भट के निलंबन के मामले को देखने को कहा. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को जैसे ही बेंच सुनवाई के लिए बैठी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जहूर अहमद भट के निलंबन का उल्लेख किया.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि जहूर भट ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने के लिए दो दिनों की छुट्टी ली थी, लेकिन जैसे ही वे वापस पहुंचे, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. इस पर सीजेआई ने कहा कि एजी, आप इस मामले को देखें.
सॉलिसिटर जनरल ने रखा पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 'अखबारों में मामला आने के बाद मैंने इसे देखा है. जो बताया जा रहा है, वो पूरा सच नहीं है.' तब सिब्बल ने इशारा किया कि 25 अगस्त को निलंबन का आदेश दिया गया, जो इसका कनेक्शन दिखाता है.
मेहता ने बताया कि वे कई दूसरी कोर्ट में भी पेश हुए हैं और दूसरे मामले भी हैं, जिस पर प्रतिकार करते हुए सिब्बल ने कहा 'तो उन्हें पहले ही सस्पेंड किया जाना चाहिए था. अब क्यों किया गया? ये सही नहीं है. लोकतंत्र में इस तरह चीजें नहीं होनी चाहिए.'
इस पर सीजेआई ने अटार्नी जनरल आर वेंकट रमानी से कहा कि प्लीज इसे देखिए कि क्या हुआ है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि "कोई जो इस कोर्ट के सामने पेश हुआ, उसे सस्पेंड कर दिया गया है." अटार्नी जनरल ने मामले को देखने पर सहमति जताई.
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