नई दिल्ली: आज 5 अगस्त 2019 को इतिहास बदल गया. मोदी सरकार ने हमेशा की तरह चौंकाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया, जिसे करीब छह दशक पहले लागू किया गया था. यही नहीं जम्मू-कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा लेकर केंद्र शासित प्रदेश (विधानसभा रहेगा) बनाने की घोषणा की गई. वहीं लद्दाख क्षेत्र को बगैर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाने की तरफ कदम बढ़ाए गए.


दोनों अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाने संबंधी संकल्प/बिल आज राज्यसभा से पास हो गया. अब इसे सरकार मंगलवार को लोकसभा से मंजूरी दिलवाएगी जहां सरकार के पास पूर्ण बहुमत है. अनुच्छेद 370 और पूर्ण राज्य का दर्जा छीनने की सरकार के कदमों की कांग्रेस समेत अन्य दलों ने जमकर विरोध किया. कांग्रेस ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है. सभी दलों, कश्मीर के स्टेकहोल्डर्स को विश्वास में लिए बगैर सरकार ने कदम उठाए.


अनुच्छेद 370
राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी संकल्प को ध्वनि मत से मंजूरी दी. जम्मू कश्मीर के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 370 में ‘अस्थायी प्रावधान’ थे, जिसके तहत राज्य का अपना संविधान होने की अनुमति दी गई थी. इस विवादित अनुच्छेद को समाप्त कर दिया गया है. बीजेपी इसे खत्म करने की मांग जनसंघ के समय से करती रही है और हर एक चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाती रही.


कांग्रेस का विरोध: सदन में विपक्ष के नेता और जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर राज्य में संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने संबंधी संकल्प का विरोध करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी देश के संविधान का सम्मान करती है, उसकी रक्षा का संकल्प जाहिर करती है और संविधान की प्रतियां फाड़े जाने की कड़ी निंदा करती है.


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अमित शाह का जवाब: अमित शाह ने राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की सारी समस्याओं का जड़ अनुच्छेद 370 है. उन्होंने कहा, ''मैं मानता हूं कि जब तक आर्टिकल 370 और 35A है तब तक कश्मीर से आतंकवाद की समाप्ति नहीं हो सकती. कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने के लिए आर्टिकल 370 और 35A हटाना निहायत जरूरी है.''


उन्होंने कहा, ''आर्टिकल 370 के कारण जम्मू और कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियां नहीं जा सकती. ये कंपनियां वहां गई तो वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा. बड़ी कंपनियां वहां गईं तो पर्यटन बढ़ेगा. लेकिन 370 के कारण ये संभव नहीं है.''


अब नहीं होगा अलग झंडा: जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खत्म होने से अब उसका कोई अलग ध्वज या संविधान नहीं होगा. अनुच्छेद 370 के मुताबिक, राज्य पर भारतीय संविधान के सिर्फ अनुच्छेद एक और अनुच्छेद 370 के प्रावधान लागू होते हैं. अनुच्छेद एक कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा और भारत के क्षेत्र में राज्यों के क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेशों के क्षेत्र और अधिग्रहण किए गए क्षेत्र शामिल होंगे.


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अगर केंद्र विलय पत्र में शामिल विषयों रक्षा, विदेश और संचार से संबंधित केंद्रीय कानून को राज्य में लागू करना चाहती है तो उसे राज्य से सिर्फ ‘सलाह-मशविरा’ की जरूरत है, जबकि इनके अलावा, अन्य विषयों पर राज्य सरकार की ‘सहमति’ अनिवार्य है. अब 370 खत्म होने के साथ ही पूरे भारत के लिए एक नियम होंगे.


अनुच्छेद 35A: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35ए, अनुच्छेद 370 में से ही निकला है. यह जम्मू कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासी, उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को परिभाषित करने की शक्ति देता है. इसके तहत गैर स्थायी निवासी अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं, सरकारी नौकरी नहीं पा सकते हैं, राज्य सरकार द्वारा मिलने वाली छात्रवृत्ति या अन्य सरकारी मदद नहीं ले सकते हैं. अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के साथ ही 35A भी इतिहास बन गया.


35 A खत्म होने के साथ ही, अन्य राज्यों के लोग वहां प्रॉपर्टी खरीद सकेंगे और इन केंद्र शासित प्रदेशों में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून भी लागू होगा. 35A को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए संविधान में जोड़ा गया है न कि संसद में संशोधन लाकर.


जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019
राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 को मंजूरी दी. बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 61 वोट पड़े. बिल में प्रावधान किया गया है कि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपना विधानसभा होगा जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा. आज दिन में गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के लिये केंद्र शासित प्रदेश के गठन की घोषणा की. शाह ने राज्यसभा में घोषणा की कि कश्मीर और जम्मू डिविजन विधानसभा के साथ एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा.


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...तो मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ''कई सदस्यों ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर आपत्ति दर्ज की है. मैं कहना चाहता हूं कि जब भी उचित समय आयेगा और परिस्थिति सामान्य हो जाएगी तो इसे पूर्ण राज्य बनाने में हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.''


आरक्षण विधेयक 2019
राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी ‘‘जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 ’’ को भी मंजूरी दी.