नई दिल्लीः अगर आपने फिल्म जॉली एलएलबी देखी है, तो आपको वह दृश्य याद होगा जहां जज वकील को डांटते हुए कहता है- "यह किस तरह की पेटिशन फाइल कर रखी है भाई? अपील को एप्पल लिख रखा है." आज कुछ ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 मामले पर सुनवाई के दौरान देखने को मिला. मामले को सुनने के लिए खास तौर पर बैठी तीन जजों की बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा पर नाराज हो गए.


उन्होंने कहा, "आपने किस तरह की याचिका दाखिल की है? मैंने इसे आधे घंटे तक पढ़ा. लेकिन समझ नहीं आया कि आप क्या चाहते हैं." जज ने आगे कहा, "हम अभी तुरंत आप की याचिका खारिज कर सकते हैं. लेकिन इससे यही मसला उठाने वाली दूसरी याचिकाओं पर भी असर पड़ेगा."


बाकी याचिकाओं में भी कमी


आज सुनवाई के लिए सिर्फ शर्मा की याचिका ही लगी थी. बात बिगड़ती देख कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले एक और वकील शाकिर शबीर खड़े हुए. उन्होंने कहा, "मैंने भी याचिका दाखिल की है. आप मेरी याचिका पर सुनवाई कर लीजिए. कोर्ट ने उन्हें भी फटकार लगाते हुए कहा, "आप की याचिका डिफेक्टिव थी. इसे परसो शाम को सुधारा गया है. हम समझ नहीं पा रहे हैं कि इतने गंभीर विषय पर लापरवाही से याचिका कैसे दाखिल की जा सकती है. शर्मा की याचिका को छोड़कर कुल 6 याचिकाएं दाखिल हुई. सब की सब डिफेक्टिव."


सब पर एक साथ सुनवाई होगी


सुबह 10:30 बजे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और अब्दुल नजीर की बेंच खासतौर पर इस मामले को सुनने के लिए बैठी थी. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं पर नाराजगी जताते हुए कहा, "हम अयोध्या मामले की लगातार चल रही सुनवाई छोड़कर इस मामले को सुनने बैठे. लेकिन याचिका करने वालों का हाल यह है कि आज सुनवाई नहीं हो सकती. हम एम एल शर्मा को मौका दे रहे हैं कि वो अपनी याचिका में सुधार करें. बाकी लोग भी अपनी याचिकाओं की कमियों को दुरुस्त करें. अब सभी याचिकाओं को एक साथ सुना जाएगा." हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की.


पत्रकार की याचिका पर आदेश से मना किया


अनुच्छेद 370 के अलावा कोर्ट ने अखबार कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर भी सुनवाई की. याचिका में कहा गया था कि राज्य में लैंडलाइन, मोबाइल, इंटरनेट जैसी सेवाओं के बाधित होने और पत्रकारों के कहीं आने-जाने पर रोक टोक के चलते वहां काम करना मुश्किल है. इस वजह से अखबार का श्रीनगर से प्रकाशन नहीं हो पा रहा है.


याचिका का विरोध करते हुए एटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, "इनके अखबार का जम्मू संस्करण प्रकाशित हो रहा है. लेकिन श्रीनगर से उसे नहीं छापा जा रहा. इसकी कोई वजह नहीं है. सिर्फ मामले को दूसरा रूप देने की कोशिश है. राज्य के हालात में सुधार के लिए सरकार और सुरक्षा बल लगातार कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए."


कोर्ट ने अनुराधा की याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया. कहा, "हमें जानकारी मिली है कि राज्य की स्थितियों में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है. लैंडलाइन और मोबाइल सेवा बहाल की जा रही है. इस वक्त हम दखल नहीं देना चाहते. आप की याचिका को लंबित रखा जा रहा है. बाद में जरूरत पड़ने पर इस पर सुनवाई होगी."


जम्मू कश्मीरः मीडिया से पाबंदियां हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम सरकार को कुछ समय देना चाहते हैं


देखेंः सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 से संबंधित सभी याचिकाओं पर अब एक साथ होगी सुनवाई