जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कल फैसला देगा SC
याचिकाओं में कई इलाकों में कर्फ्यू और धारा 144 लगाए जाने का भी विरोध किया गया है. पाबंदियां लगाने के तरीके को भी गैरकानूनी बताया गया है. याचिकाओं के जवाब में सरकार की दलील थी कि पाबंदी लगाने के प्रशासनिक आदेश में कानूनी तौर पर कोई कमी नहीं थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कल यानि शुक्रवार को फैसला देगा. यह फैसला कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की याचिकाओं पर आना है. इन याचिकाओं में राज्य में मोबाइल-इंटरनेट सेवा बंद करने और लोगों की आवाजाही पर रोक को मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है.
याचिकाओं में कई इलाकों में कर्फ्यू और धारा 144 लगाए जाने का भी विरोध किया गया है. पाबंदियां लगाने के तरीके को भी गैरकानूनी बताया गया है. साथ ही कहा गया है कि अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला हुए कई महीने हो गए, लेकिन अब भी कई तरह के प्रतिबंध जारी हैं.
याचिकाओं के जवाब में सरकार की दलील थी कि पाबंदी लगाने के प्रशासनिक आदेश में कानूनी तौर पर कोई कमी नहीं थी. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को सीमा पार से मदद मिलने का पुराना इतिहास रहा है. इंटरनेट के ज़रिए अलगाववादी राज्य में अफवाहें फैलाने में सफल होते रहे हैं. इससे हिंसा फैलती है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला राष्ट्रहित में उठाया गया अहम कदम था. उसे सफल बनाना सरकार की ज़िम्मेदारी थी. पाबंदियों के बावजूद इस बात का ध्यान रखा गया कि स्वास्थ्य और राशन जैसी ज़रूरी सेवाओं में कोई कमी न आए.
सरकार ने यह भी कहा है कि अब ज़्यादातर इलाकों में फोन, इंटरनेट जैसी सभी सेवाएं बहाल हो चुकी हैं. स्कूल कॉलेज खुले हैं. जनजीवन सामान्य है. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि कोर्ट न सिर्फ पाबंदियों को पूरी तरह हटाने का आदेश दे, बल्कि इन्हें लगाने के लिए इस्तेमाल की गई प्रक्रिया को भी अवैध करार दे.
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