Article 370 Verdict: ‘निराश हूं, लेकिन लंबी लड़ाई के लिए तैयार’, आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोले उमर अब्दुल्ला
Article 370 Verdict: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर निराशा जाहिर की है.
Article 370 Verdict: जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को जायज ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भारत का संविधान ही चलेगा. उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के सीनियर लीडर उमर अब्दुल्ला ने निराशा जाहिर की है.
उन्होंने कहा है, "निराश हूं, लेकिन हतोत्साहित नहीं. संघर्ष जारी रहेगा. यहां तक पहुंचने में बीजेपी को दशकों लग गए. हम भी लंबी दौड़ के लिए भी तैयार हैं.' इससे पहले रविवार को बारामूला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में पार्टी का 370 को पुनर्बहाल करने की लड़ाई शांतिपूर्वक तरीके से जारी रहेगी.
Disappointed but not disheartened. The struggle will continue. It took the BJP decades to reach here. We are also prepared for the long haul. #WeShallOvercome #Article370
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 11, 2023
सुप्रीम कोर्ट का क्या है फैसला
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ लगायी गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 दिसंबर 2023) को फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला देते वक्त अहम टिप्पणी करते हुए कहा, "जम्मू कश्मीर भारत के संविधान से चलेगा."
कोर्ट ने कहा, "जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए, जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई. वह भारत के तहत हो गया. साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है. अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है.
जम्मू कश्मीर पर फैसला केंद्र का चलेगा
जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर भी लगायी गई याचिकाओं पर पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर को संप्रभुता नहीं. राष्ट्रपति शासन पर विचार की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग हो जाने से राष्ट्रपति की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता. और अपने अंतिम आदेश में सीजेआई ने जम्मू कश्मीर से 370 को हटाए जाने को संवैधानिक फैसला करार देते हुए कहा कि 370 को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है. अब यहां केंद्र सरकार का फैसला चलेगा.