‘कुछ लड़ाईयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं’, 370 पर फैसले के बाद बोले कपिल सिब्बल
Kapil Sibal Tweet: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं.
Kapil Sibal On Supreme Court: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू कश्मीर में भारत का ही संविधान चलेगा और वहां से अनुच्छेद 370 को हटाने का राष्ट्रपति का फैसला वैध है.
केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ इस मामले में कुल 23 याचिकाएं लगाई गई थीं, जिनमें मुख्य अधिवक्ता के तौर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा था. हालांकि उन्हें अपनी हार का एहसास पहले ही हो गया था. इसी का संकेत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दिया.
सही और गलत पर सालों तक बहस होती रहेगी
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, "कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं." कपिल सिब्बल ने लिखा, 'कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं. इतिहास को पीढ़ियों के जानने के लिए असुविधाजनक तथ्यों को दर्ज करना होगा. संस्थागत कार्रवाइयों के सही और गलत होने पर आने वाले सालों में बहस होती रहेगी. इतिहास ही अंतिम निर्णायक है."
जजों ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी
आपको बता दें कि आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने को लेकर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "राजा हरि सिंह के द्वारा विलय के बाद जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यहां भारत का संविधान ही चलेगा. इसके पास कोई आतंरिक संप्रभुता नहीं है. वहां के राजा द्वारा जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता भारत को समर्पित की गई थी."
उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय के साथ ही उसकी अपनी संप्रभुता खत्म हो गई थी. अनुच्छेद-370 एक अस्थायी प्रावधान था. राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी उद्देश्य के लिए पेश किया गया था. इसे हटाने का संवैधानिक अधिकार राष्ट्रपति के पास है और उसे चुनौती नहीं दी जा सकती."
फैसले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने की है.
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