Artificial Intelligence In Defense: 'चीन हो या पाकिस्तान' इंडियन आर्मी के कई काम अब हो जाएंगे आसान, जब मिलेंगे 75 हाईटेक सैन्य उपकरण
Artificial Intelligence In Defense: सीमा पर अब सैनिकों के कई काम आसान हो जाएंगे. सेना को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित 75 तकनीक और सैन्य उपकरण मिलने जा रहे हैं.
Artificial Intelligence In Defense: देश की सीमा (LAC)पर तैनात सैनिकों के कई काम अब आसान हो जाएंगे. जैसे एलएसी पर चीन (China) के सैनिकों की मैंड्रिन भाषा को तुरंत हिंदी या इंग्लिश में सुनना हो या फिर बॉर्डर पर सैनिकों को हथियार या फिर रसद और खाना-पीना पहुंचाना हो, ऐसे हर काम अब आसान होने वाले हैं. इतना ही नहीं पाकिस्तान (Pakistan)से सटी एलओसी पर किसी आतंकी (Terrorists) की घुसपैठ को मॉनिटर करना हो, या सरहद पर किसी रोबो-सोल्जर को तैनात करना हो, या फिर सीमा पर दुश्मन देश के सैनिकों के नापाक इरादे भांपने हो, ये सब काम सेना के लिए अब चुटकी बजाते ही हो जाएंगे. इसकी वजह ये है सेना को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर आधारित इस तरह की 75 तकनीक और सैन्य उपकरण अगले हफ्ते मिलने जा रहे हैं.
सोमवार को राजधानी दिल्ली में 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस' (Artificial Intelligence In Defense) नाम की एक प्रदर्शनी और संगोष्ठी होने जा रही है जिसमें एआई पर आधारित सैन्य साजो सामान को लॉन्च किया जाएगा. खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस प्रदर्शनी का उदघाटन करेंगे.
शुक्रवार को रक्षा सचिव अजय कुमार ने एक प्रेस कॉन्फेंस में इस प्रदर्शनी और सेमिनार के बारे में विस्तृत जानकारी दी. रक्षा सचिव ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इन 75 तकनीक और प्रोडेक्ट्स को लॉन्च किया जा रहा है जो पहले से सेना, डीआरडीओ और डिफेंस पीएसयू टेस्ट और ट्राई किए जा चुके हैं. रक्षा सचिव के मुताबिक, ये देश की पहली एआई पर आधारित प्रदर्शनी है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रक्षा मंत्रालय के सचिव (उत्पादन), जाजू ने बताया कि इस प्रदर्शनी में दस अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं, जिसमें स्वचालित और मानवरहित रोबोटिक्स प्रणाली, साइबर-सिक्योरिटी, मानव व्यवहार विश्लेषण, इंटेलीजेंट मॉनिटिरिंग एनेलेसेस, रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, भाषण/ध्वनि विश्लेषण और कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर और आसूचना, निगरानी और सर्वेक्षण (सी4आईएसआर) प्रणाली और ऑपरेशन्ल डाटा एनेलेटिक्स शामिल है.
रक्षा सचिव के मुताबिक, एआई पर आधारित कुछ एपीलेक्शन क्लासीफाइड होंगे, जिसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी. अजय कुमार के मुताबिक, आधुनिक वॉरफेयर बेहद तेजी से बदल रहा है ऐसे में सेना की कार्यप्रणाली और सैन्य उपकरणों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खास जरूरत है.
रक्षा सचिव के मुताबिक, रक्षा क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल पर वर्ष 2018 में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था. इस टास्क फोर्स ने ही सशस्त्र सेनाओं में एआई के इस्तेमाल का रोड-मैप तैयार किया है. उन्होनें बताया कि एआई आधारित इन 75 तकनीक और उपकरणों के अलावा 100 और ऐसे प्रोडेक्ट्स भी हैं, जिनपर तेजी से काम चल रहा है. जिसमें अगर किसी ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय नींद आ जाती है तो एआई की मदद से वो गाड़ी खुद-बे-खुद बंद हो जाएगी.
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