नई दिल्ली: दिल्ली और NCR में लोगों की नजरें ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ पर अटकी हुई हैं. वायु-गुणवत्ता को दर्शानेवाला ये इंडेक्स सेंसेक्स की तरह हो गया है. लोग ये जानना चाहते हैं कि आज प्रदूषण का स्तर कितना है. क्या ये सामान्य है, या फिर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है ? वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जहां सुप्रीम कोर्ट गंभीर है, दिल्ली हाईकोर्ट राज्य सरकार और उसकी अन्य एजेंसियों की खिंचाई कर रही है. वहीं दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन उत्सर्जित करने के लिए ऑड-इवन सिस्टम लागू किया है. ताकि वायु प्रदूषण के खतरे का मुकाबला कर लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलने का रास्ता तैयार किया जा सके. वायु प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों का खतरा हर शख्स पर मंडरा रहा है. इसी खतरे को कम करने के लिए साकेत इलाके में निजी पहल पर एक बार की शुरुआत की गई है.


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‘ऑक्सी प्योर’ नाम से खुला पहला ‘ऑक्सीजन बार’ अपने ग्राहकों को कृत्रिम ऑक्सीजन मुहैया करा रहा है. यहां ट्यूब के जरिए कृत्रिम ऑक्सीजन को फ्लेवर के साथ दिया जाता है. बार ने सात तरह के खुशुबू में अलग-अलग फ्लेवर तैयार किया है. इसके अलावा बार प्रबंधन ने ऐसी व्यवस्था की है कि कृत्रिम ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह भी ले जाया जा सके.


‘ऑक्सी प्योर’ बार की बढ़ रही पॉपुलिरिटी


जैसे-जैसे लोगों को इस बार के बारे में जानकारी मिल रही है, उनकी उत्सुकता भी बढ़ रही है. हर कोई सांस लेने में होनेवाली दिक्कत से परेशान है. इसलिए लोग इस बार की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. वैसे तो ये पहल सभी के लिए लाभदायक साबित हो रहा है. लेकिन खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए वरदान मानी जा रही है क्योंकि वायु प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों की चपेट में बच्चे और बुजुर्ग तेजी से आते हैं.


तो क्या पानी के बाजार पर कब्जा जमाने के बाद अब ऑक्सीजन के समानांतर विकल्प को मुनाफे का जरिया बनाया जा सकता है. माना ये जा रहा है कि आनेवाले दिनों में ‘कृत्रिम ऑक्सीजन’ के कारोबार में मल्टीनेशनल प्लेयर्स अपना साम्राज्य स्थापित कर सकती हैं.


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