नई दिल्ली: असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन (एआरटीआर) बिल 2019 को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं. इस बिल को जल्द ही सदन में पेश किया जाएगा.


इस बिल के तहत आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल कर मां बनने वाली महिला की अधिकतम उम्र 50 वर्ष निर्धारित की जाएगी. इस बिल का एक और मकसद इस तकनीक पर नियंत्रण भी है ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके. इस बिल के पास होने के बाद प्रयोगशालाओं की निगरानी आसान हो जाएगी. साथ ही इस तकनीक पर आधारित लैब्स को तभी लाइसेंस प्राप्त होगा जब वे पूरे नियमों का पालन करने के योग्य होंगी. सरोगेसी कानून के पास होने के बाद इस दिशा में महिलाओं के साथ होने वाले शोषण पर रोक लगी है. भारत सरोगेसी का बड़ा केंद्र बन गया है, दूसरे देश के लोग भी यहां किराए की कोख लेकर मां और पिता बनने का सपना पूरा कर रहे हैं. सरोगेसी देश में काफी तेजी से फैला है. बॉलीवुड हस्तियों ने इसके चलन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है.


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हाल में आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी की 74 साल की उम्र में एक महिला के मां बनने की खबर से इसके दुरुपयोग की बहस छिड़ गई थी. जिसके बाद से ही एआरटी तकनीक पर नियम बनाए जाने की मांग उठने लगी थी. डाक्टरों का भी मानना है कि 50 से अधिक उम्र की किसी महिला को मां नहीं बनाया जाना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो इसे तकनीक का गलत इस्तेमाल माना जाए. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी एआरटी क्लीनिकों की सेवाओं को कानून के दायरे में लाने की बात कह चुके हैं. इसी के तहत सरकार ने यह बिल बनाया है. ताकि एआरटी के माध्यम से तकनीक के हो रहे उपयोग पर रोक लगाई जा सकेगी और बांझपन दंपत्ति के शोषण को रोका जा सकेगा. सरकार भी चाहती है कि इस तकनीक से बच्चे पैदा करने की अधिकतम आयु 50 साल निर्धारित हो.


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संभव है कि बिल पास होने के बाद सरकार आईवीएफ तकनीक से मां बनने के इच्छुक माता-पिता के लिए एक गाइडलाइन जारी करे. लोगों की दैनिक दिनचर्या में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण देश में इंफर्टिलिटी की समस्या बीते कुछ सालों में बढ़ी है,आंकड़ों के मुताबिक देश के युवाओं में इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ी है.आबादी के हिसाब से करीब 10 से 14 फीसदी आबादी इनफरटाइल है.


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