नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है. विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं कि अब जांच एजेंसी की जांच कौन करेगा? राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने वाले आलोक वर्मा को छुट्टी पर क्यों भेजा गया? क्या आलोक वर्मा राफेल डील की जांच शुरू करने वाले थे इसलिए उन्हें छुट्टी पर भेजा गया? सभी सवाल का जवाब मोदी सरकार ने दिया है. 10 प्वांइट्स में समझें-
1. सीबीआई में फेरबदल के बीच नई दिल्ली में कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट ब्रिफिंग में शीर्ष मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद मौजूद थे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर कहा कि सीबीआई निदेशक और विशेष निदेशक के एक दूसरे के खिलाफ आरोपों के चलते विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण हालात बने हैं.
2. जेटली ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने को लेकर कहा, ''सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए इसके निदेशक और विशेष निदेशक को हटाने का फैसला लिया गया.'' सीवीसी ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को हटाने की सिफारिश की.
3. वित्त मंत्री कहा, ''एसआईटी की जांच जारी रहने तक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना छुट्टी पर रहेंगे.'' केंद्र यह भी साफ किया अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी. आलोक वर्मा की जगह फिलहाल संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया है.
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4. जेटली ने कहा कि सीवीसी की अनुशंसा पर एक एसआईटी इस पूरे मामले की जांच करेगी. जेटली ने कहा, ''बड़े अधिकारियों ने जो भी शिकायतें की है वो सीवीसी के पास की है. सीवीसी के पास आरोप-प्रत्यारोप के दस्तावेज हैं. सीवीसी ने सेक्शन 8 सीवीसी एक्ट और दिल्ली पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की धारा चार (1) के तहत ये सिफारिश की कि इन आरोपों की जांच न तो ये दो अधिकारी (राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा) कर सकते हैं. क्योंकि दोनों पर आरोप है और न ही इसकी निगरानी कोई एजेंसी कर सकती है. इसलिए जबतक इसकी जांच होगी और सीबीआई पर लोगों का भरोसा बरकरार रहे, दोनों ही अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है. यह अंतरिम फैसला है.''
5. राफेल डील की जांच की वजह से आलोक वर्मा की छुट्टी किये जाने के विपक्षी दलों के आरोपों को जेटली ने बकवास बताया. उन्होंने कहा, ''क्या दो अधिकारी जो जांच का सामना कर रहे हैं वो ही अपनी जांच करवाएं? विपक्ष के आरोप गलत हैं.'' जेटली ने आगे कहा कि विपक्ष अगर किसी अधिकारी का समर्थन करता है तो उससे अधिकारी की छवि को भी नुकसान होगा. सीबीआई पर सवाल उठे तो इसका फायदा घोटालेबाजों को ही होगा.
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6. अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है. उसकी गरिमा बनी रहे यह जरूरी है. सीबीआई की संस्थागत गरिमा बनाए रखना और इस दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है.
7. 15 अक्टूबर को डायरेक्टर आलोक वर्मा के आदेश पर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई. गिरफ्तारी से बचने के लिए अस्थाना कोर्ट चले गए. जिसके बाद कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहे. इससे पहले अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी के पास शिकायत की थी.
8. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों अधिकारियों को तलब किया. कई दिनों से चल रहे घटनाक्रम के बीच देर रात दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया. उनकी जगह 1986 बैच के ओड़िशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एम. नागेश्वर राव को निदेशक नियुक्त किया गया.
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9. राव ने पद संभालते ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही टीम में बड़े बदलाव किए. विपक्षी दलों ने इस फैसले पर भी सवाल उठाए हैं.
10. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट शुक्रवार को वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा. वर्मा ने संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को एजेंसी का अंतरिम निदेशक बनाने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी.