पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का निधन, जानिए उनके छात्र राजनीति से वित्त मंत्री तक का सफर
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन हो गया है. जेटली 9 अगस्त से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती थे. पूर्व वित्त मंत्री के निधन को लेकर एम्स ने एक बयान जारी कर कहा है कि वे बेहद दुख के साथ सूचित कर रहे हैं कि 24 अगस्त को 12 बजकर 7 मिनट पर माननीय सांसद अरुण जेटली अब हमारे बीच में नहीं रहे.
अरुण जेटली भारतीय सियासत का वह नाम रहे हैं जो किसी परिचय का मोहताज नहीं रहे. वह वाजपेयी से लेकर मोदी तक के भरोसेमंद साथी रहे. दोनों के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं. उनके कद और पार्टी में उनकी विश्वसनियता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जेटली 2014 में अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे, इसके बावजूद उनकी योग्यता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया.
अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था. उनका जन्म किशन जेटली और रतन प्रभा के घर में हुआ. जेटली के पिता पेशे से वकील थे. जहां तक अरुण जेटली की शिक्षा की बात है तो उन्होंने प्राथमिक शिक्षा दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद 1973 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की. साल 1977 में आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने पिता की तरह ही कानून की डिग्री हासिल की.
राजनीतिक करियर
अरुण जेटली ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत छात्र के रूप में की थी. वह 1974 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष बने. इसके बाद जेटली 1991 से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. उन्हें पार्टी में पहली बार बड़ी जिम्मेदारी साल 1999 के आम चुनावों से पहले मिली थी. उस वक्त उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता बनाया गया था.
जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तब उन्हें पार्टी ने सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद 23 जुलाई 2000 को उनको एक और जिम्मेदारी सौंपी गई. जेटली को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला.
इसके बाद जेटली को 29 जनवरी 2003 को फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में वाणिज्य, उद्योग और कानून और न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया.
मई 2004 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हार के साथ जेटली पार्टी के महासचिव के रूप में सेवा करने लगे. साल 2009 में जेटली को राज्यसभा में विपक्ष का नेता चुना गया. साल 2014 में मोदी लहर में जब पार्टी जीती और सत्ता में आई तो उन्हें 26 मई 2014 को वित्त मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि वह इस बार अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह से चुनाव हार गए थे. साल 2018 में वह एक बार फिर राज्यसभा के लिए चुने गए. इस बार वह गुजरात से नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश से चुने गए थे.
वित्त मंत्री के तौर पर जेटली कार्यकाल
वित्त मंत्री के तौर पर अरुण जेटली का कार्यकाल काफी उतार-चढाव भरा रहा. इनके वित्त मंत्री रहते मोदी सरकार ने GST और नोटबंदी जैसे बड़े फैसले लिए. इन फैसलों के कारण कई लोगों की आलोचनाओं का भी उन्हें सामना करना पड़ा. हालांकि अरुण जेटली को सभी एक तेज तर्रार नेता के तौर पर जानते हैं.
साल 2019 में जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई तो लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें फिर कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन इससे पहले जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर दरख्वास्त की कि उन्हें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत है. इसलिए उन्हें इस दफा मंत्रीपद के भार से मुक्त रखा जाए.
व्यक्तिगत जीवन 24 मई 1982 को अरुण जेटली की शादी संगीता जेटली से हुई. इनके दो बच्चे हैं- रोहन और सोनाली.