नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को 66 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके निधन के बाद नेता से लेकर राजनेता तक उनके साथ बिताए समय और उनकी अच्छाइयों को याद कर रहे हैं. इसी सिलसिले में हम उनसे जुड़ी एक ऐसी बात आपको बताने जा रहे हैं जिसे जानकार आप भी दिवंगत बीजेपी नेता के अनुशासन और चीजों को गंभीरता से लेने की कला के फैन हो जाएंगे.


दरअसल, ये बात 18 अगस्त, 2011 की है. उस समय संसद का सत्र चल रहा था. राज्यसभा में एक बेहज जरूरी मुद्दे पर चर्चा होने वाली थी. ये मसला कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन से जुड़ा हुआ था. उनपर महाभियोग की कार्रवाई चलाने के लिए सदन में बहस होने वाली थी. इस बहस में शामिल होने के लिए जब अरुण जेटली संसद पहुंचे तो उनके पास ढ़ेर सारी किताबें जिसे देखकर वहां मौजूद पत्रकार प्रश्न पूछे बिना रह नहीं सके.


इसके बाद अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने ये किताबें 35 हजार रुपए में जस्टिस सौमित्र सेन से जुड़े मामले में बहस की तैयारी के लिए खरीदी हैं. हालांकि, आपको बता दें कि यह मामला राज्यसभा से पास हो गया था लेकिन लोकसभा में मामले के आने से पहले ही जस्टिस सौमित्र सेन ने इस्तीफा दे दिया था.


यह कहानी अरुण जेटली के ईमानदारी और गंभीरता के अनेक किस्से में से एक है. जीवनभर बीजेपी के समर्पित नेता रहे अरुण जेटली पार्टी में रणनीति बनाने के माहिर थे. उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अनेक ऐसे फेसले लिए जिसे सालों तक याद रखा जाएगा. उनके इन फैसले में- जीएसटी को लागू करना, एसबीआई बैंकों का एकीकरण करना और आम और रेल बजट को एक करना प्रमुख है.


यह भी पढ़ें-


पीएम मोदी की बहरीन यात्रा: स्पेस साइंस, सौर ऊर्जा समेत कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते


आज होगा अरुण जेटली का अंतिम संस्कार, दोपहर 1.30 बजे BJP मुख्यालय से शुरू होगी अंतिम यात्रा


बहरीन में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, कहा- आज भारतीय विश्वास के साथ आंख में आंख डालकर बात कर रहे हैं