नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की आज दिल्ली के निगम बोध घाट पर 'राजकीय अंत्येष्टि' की गई. उनके बेटे रोहन जेटली ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी नेता का कल दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर एम्स में निधन हुआ था. उनका कुछ सप्ताह से अस्पताल में इलाज चल रहा था. वह 9 अगस्त को एम्स में भर्ती हुए थे.
जानिए क्या होती है 'राजकीय अंत्येष्टि'
नियम के मुताबकि सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, मौजूदा प्रधानमंत्री, वर्तमान केंद्रीय मंत्री की ही इस तरह से अंत्योष्टी की जाती है. लेकिन फिर भी इसके बारे में कहीं लिखित रूप से कोई प्रावधान नहीं है और समय के साथ इस नियम में कई बदलाव हुए हैं. किसी इंसान के लिए 'राजकीय' अंतिम संस्कार का आदेश देना सरकार का विशेषाधिकार है. मदर टेरेसा, सत्य साईं बाबा और श्रीदेवी जैसे ग़ैर राजनीतिज्ञों को भी 'राज्यकीय अंत्येष्टि' दी गई. भारत में पहली 'राजकीय अंत्येष्टि' महात्मा गांधी की हुई.
कैसे दी जाती है अधिसूचना
किसी गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु के बाद, सरकार उनकी मृत्यु की घोषणा करते हुए एक राजपत्र अधिसूचना जारी करती है. अधिसूचना काली पट्टी के साथ जारी की जाती है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के मामले में, सरकार द्वारा एक गजट अधिसूचना जारी की गई थी. इसी तरह, राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका देने के निर्देश के साथ राजकीय शोक भी घोषित किया जाता है. कुछ मामलों में, सरकार द्वारा सार्वजनिक अवकाश की भी घोषना होती है. इसी तरह की प्रक्रिया का पालन तब किया जाता है जब राज्य सरकारें 'राजकीय अंत्येष्टि' की घोषणा करती हैं. इस समय की तात्कालिक स्थिति के कारण, सरकार आमतौर पर सभी राज्यों और अन्य सरकारी विभागों को राष्ट्रीय शोक, झंडा फहराने आदि के बारे में एक वायरलेस संदेश भेजती है.
'राजकीय अंत्येष्टि' के लिए जब गृह मंत्रालय राजपत्र अधिसूचना जारी करता है, तो रक्षा मंत्रालय अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था करता है. अटल बिहारी की मृत्यु के वक्त तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत रूप से अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था की थी.
किस तरह की जाती है 'राजकीय अंत्येष्टि'
'राजकीय अंत्येष्टि' के साथ किए जाने वाले अंतिम संस्कार में पार्थिव शरीर तिरंगे में में लपेटा जाता है.
दिवंगत व्यक्ति के सम्मान में मिलिट्री बैंड 'शोक संगीत' बजाते हैं और इसके बाद उन्हें बंदूकों की सलामी दी जाती है.
आजाद भारत में राजकीय सम्मान के साथ पहला अंतिम संस्कार महात्मा गांधी का किया गया था.
(नोट- राष्ट्रीय ध्वज को केवल Military स्टेट/ सैन्य/ केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के अंतिम संस्कार में अनुमति दी जाती है. राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य निजी अंतिम संस्कार में लपेटना अपराध है.)
अंतिम सफर पर अरुण जेटली, निगम बोध घाट पर कड़ी की गई सुरक्षा व्यवस्था होगा