NDTV पर छापों के लेकर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल
नई दिल्ली: एनडीटीवी पर सीबीआई के छापों के लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व संपादक अरुण शौरी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं. एनडीटीवी को दिए गए शौरी के इंटरव्यू के हवाले से टेलीग्राफ अखबार ने उनका बयान छपा है. अरुण शौरी ने कहा है, ‘’आज हर तरफ डर का माहौल है. दूसरी जगहों के मुकाबले दिल्ली में ये डर ज्यादा दिखाई देता है.’’
क्या कहा अरुण शौरी ने?
‘’इस बात में कोई शक नहीं है कि छापे बाकी मीडिया को ये संकेत देने के लिए मारे गए कि आप साथ नहीं रहोगे तो आपके साथ भी यही होगा. आज हर तरफ डर का माहौल है. दूसरी जगहों के मुकाबले दिल्ली में ये डर ज्यादा दिखाई देता है. मीडिया में आम धारणा है कि अरे ये तो बदला लेने वाली सरकार है, अरे तुम वो पीएम को जानते नहीं हो, तुम अमित शाह को जानते नहीं. ये सीबीआई को कंट्रोल करते हैं. ये डर और ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि सरकार के दावों और जनता की उम्मीदों के बीच का अंतर बढ़ रहा है. वो मीडिया को और ज्यादा दबाने और उसे मैनेज करने का काम करेंगे.’’
सीबीआई ने मारा था प्रणय रॉय के ठिकानों पर छापा
बता दें कि दो दिन पहले सीबीआई ने एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ केस दर्ज करके दिल्ली से लेकर देहरादून-मसूरी तक छापेमारी की थी. सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा भी किया है. एनडीटीवी ने कहा है कि उसने बैंक का कर्ज चुका दिया है. सीबीआई के इस छापे को लेकर सोशल मीडिया पर भी मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है.
क्या है मामला
सीबीआई के मुताबिक, प्रणय राय और उऩकी कंपनी ने एक बड़ी प्राइवेट कंपनी से 500 करोड़ रुपये का लोन लिया था. इस लोन को चुकाने के लिए उनकी कंपनी ने आईसीआईसी बैंक से 375 करोड का लोन 19 प्रतिशत ब्याज की दर से लोन लिया. आरोप है कि लोन चुकाने के लिए प्रणय राय की कंपनी ने प्रमोटरो की सारी शेयर होल्डिंग्स को शेयरधारकों को बताए बिना गिरवी रख दिया था.
आरोप है कि शेयर गिरवी रखे जाने की जानकारी ना तो सेबी को दी गई ना स्टॉक एक्सचेंज को और ना ही सूचना प्रसारण मंत्रालय को. आरोप है कि इन लोगो ने 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रख दिए जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है.
बैंक को 48 करोड़ के नुकसान पहुंचाने का आरोप
आरोप है इसके अलावा आईसीआईसी बैंक का लोन भी प्रणय रॉय और उनकी कंपनी नहीं चुका रहे थे, जिसके बाद बैंक ने उनसे एक मुश्त लोन चुकाने का फैसला किया और बैंक ने अपनी ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी, जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ. इस मामले में बैंक के भी कुछ अधिकारियों की प्रणय राय को फायदा पहुंचाने के आरोप की भी जांच की जा रही है.