अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारतीय सेना अब टेक्नोलॉजी के जरिए दुश्मन को चित करने में जुटी है. क्योंकि मिलिट्री टैकटिक्स बताती हैं कि अगर दुश्मन संख्या में ज्यादा है तो उसे तकनीक के जरिए भी हराया जा ‌सकता है. 


यही वजह है कि एलएसी पर भारतीय सेना की पैरा-एसएफ यानि स्पेशल फोर्स पैराशूट के जरिए  दुश्मन के इलाके में पैरा-ड्रॉप करने की ट्रेनिंग ले रही है, बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए बिहाइंद द एनेमी लाइन अपने सैन्य साजो सामान तक पैराशूट के जरिए भेजने की तैयारी कर रही है‌.


अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सेना की क्षमताएं जानने के लिए गई एबीपी न्यूज की टीम को एक खास अमेरिका पैराशूट देखने को मिला. ये एक गाईडेट प्रेसेसियन एरियल डिलीवरी सिस्टम है जिसमें एक खास पैराशूट को जीपीएस लोकेटर-बॉक्स से इंटीग्रेट किया गया है. अगर कोई हथियार, मिलिट्री हार्डवेयर या फिर कोई जीप भी अगर कही पैरा-ड्रॉप करनी है तो इस खास अमेरिकी 'फायरफ्लाई' पैराशूट से आसानी से किया जा सकता है.  भारतीय सेना के मुताबिक, इस फायर-फ्लाई पैराशूट की रेंज करीब 28 किलोमीटर है और करीब 10 टन का भार उठा सकता है. 


भारतीय सेना टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अब एलएसी की निगरानी करने के लिए भी कर रही है. एलएसी पर सैनिकों की पैट्रोलिंग और बॉर्डर पोस्ट के साथ साथ टेक्निकल सर्विलांस भी की जा रही है. इसके लिए भारतीय सेना ने अरूणाचल प्रदेश में एक खास सर्विलांस सेंटर बनाया है. ये एक तरह से फ्यूजन ऑफ सेंसर्स है. इसके लिए एलएसी पर सीसीटीवी कैमरा और रडार सिस्टम तो लगाए गए ही हैं, साथ ही  सैटेलाइट की मदद भी ली जा रही है. 


इस सर्विलांस सेंटर में एलएसी पर लगे कैमरों की लाइव फीड लगातारी आती है. साथ ही सैटेलाइट इमेज भी लगातार आती हैं. जैसे ही इन तस्वीरों और वीडियो के जरिए एलएसी पर चीनी सेना की कोई हरकत नजर आती है,‌ यहां से तुरंत मैसेज फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात सैनिकों को भेजा जाता है और चीन की पीएलए सैनिकों को वहीं रूक दिया जाता है.  नेशनल मीडिया से अरूणाचल प्रदेश में बात करते हुए सेना की पूर्वी कमान के कमांडिंग इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने कहा कि एलएसी पर चीन की हरकतों पर लगाम लगाने के लिए टेक्निकल सर्विलांस बेहद जरूरी है.


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