अरुणाचल प्रदेश में भारी प्रदर्शन, भीड़ ने डिप्टी CM के आवास और 60 गाड़ियों को आग के हवाले किया
अरुणाचल प्रदेश में छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र दिए जाने की सिफारिश के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी ईटानगर में कर्फ्यू लगा है. इसके बीच भीड़ ने अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री चाउना मीन के निजी आवास को आग के हवाले के कर दिया.
ईटानगर: कर्फ्यू को धता बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने रविवार को ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री चाउना मीन के निजी आवास को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया जबकि उपायुक्त के दफ्तर में तोड़फोड़ की. प्रदर्शनकारी छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र दिए जाने की सिफारिश का विरोध कर रहे थे. हालत को काबू करने के लिए आईटीबीपी की छह कंपनियां तैनात की गई है. एक कंपनी में करीब 100 जवान होते हैं.
भारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों से अपील की कि वे संयम बरतें और शांति कायम रखें. सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से भी बात की. खांडू ने उन्हें राज्य के हालात की जानकारी दी.
Violence in Arunachal Pradesh on Permanent residence certificate row:Home Minister Rajnath Singh spoke to Chief Minister & Governor. Mob in front of CM's house has dispersed. Necessary instructions have been given.Ministry of Home Affairs is keeping a close watch on the situation pic.twitter.com/dr7QupUBrC
— ANI (@ANI) February 24, 2019
रिजिजू का कांग्रेस पर आरोप केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है. रिजिजू ने कहा कि अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार पीआरसी पर विधेयक नहीं ला रही है बल्कि नबाम रेबिया के नेतृत्व वाली संयुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट को केवल पेश किया गया है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘इसका मतलब है कि राज्य सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया है. वास्तव में, कांग्रेस पीआरसी के लिए लड़ रही है लेकिन लोगों को गलत तरीके से उकसा रही है.’’ रेबिया राज्य सरकार में एक कैबिनेट मंत्री है.
रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पीआरसी के वास्ते लड़ने के लिए लेकांग क्षेत्र में गैर-अरूणाचल प्रदेश एसटीएस का समर्थन किया और ‘उकसाया’ है, लेकिन ईटानगर में निर्दोष लोगों को ‘गुमराह’ किया. उन्होंने कहा, ‘‘शुरू से ही मैंने राज्य सरकार से जोर देकर आग्रह किया है कि जब तक लोग स्थानीय लोगों के अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा के प्रति आश्वस्त नहीं हो जाते, हमें पीआरसी नहीं देना चाहिए. हमें एकजुट होना चाहिए.’’
कैसे शुरू हुआ हिंसक प्रदर्शन? पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को पुलिस फायरिंग में जख्मी हुए एक शख्स के एक अस्पताल में दम तोड़ देने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर मार्च किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.
प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर के नीति विहार इलाके में उप-मुख्यमंत्री के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया और ईटानगर के उपायुक्त कार्यालय में तोड़फोड़ की. उन्होंने उपायुक्त कार्यालय परिसर में खड़ी कई गाड़ियों में भी आग लगा दी.
Permanent residence certificate row: Police station and a fire station in Itanagar vandalized after violence broke out during a strike called by 18 student&civil society orgs. Protesters allege a youth was also killed in police firing. #ArunachalPradesh pic.twitter.com/XSyf282Y3d
— ANI (@ANI) February 24, 2019
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर पुलिस थाने और राज्य की राजधानी की कई सार्वजनिक संपत्तियों पर भी हमला किया. प्रदर्शनकारियों ने नाहरलगुन रेलवे स्टेशन की तरफ जाने वाली सड़क को भी जाम कर दिया जिसके कारण मरीजों सहित कई यात्री रविवार सुबह से ही वहां फंसे हुए हैं.
शनिवार को प्रदर्शनकारियों की ओर से की गई पत्थरबाजी में 24 पुलिसकर्मियों सहित 35 लोगों के जख्मी होने के बाद ईटानगर और नाहरलगुन में बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया था. सेना ने शनिवार को ईटानगर और नाहरलगुन में फ्लैग मार्च किया. दोनों जगहों पर इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं.
पुलिस ने बताया कि सारे बाजार, पेट्रोल पंप और दुकानें बंद हैं और ईटानगर की ज्यादातर एटीएम में नगद नहीं है. शुक्रवार से अब तक प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस वाहनों सहित 60 से अधिक वाहनों को आग के हवाले किया है और 150 से ज्यादा गाड़ियां क्षतिग्रस्त कर दी गई हैं.
शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय इंदिरा गांधी उद्यान में ईटानगर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मंच को नुकसान पहुंचाया. बाद में आयोजकों ने फिल्म महोत्सव रद्द कर दिया. हितधारकों से वार्ता करने के बाद संयुक्त उच्चाधिकार समिति (जेएचपीसी) ने ऐसे छह समुदायों को स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश की है जो मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं, लेकिन दशकों से नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं.
जेएचपीसी की सिफारिश शनिवार को विधानसभा में पटल पर रखी जानी थी, लेकिन स्पीकर द्वारा सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने के कारण इसे पेश नहीं किया जा सका.