India China Faceoff: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प, एलएसी पर अतिरिक्त बल की तैनाती और चीन के सैनिकों की गतिविध स्पष्ट संकेत है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली चीनी सरकार दोनों विवादित क्षेत्रों पर दबाव बनाना जारी रखेगी और सीमा के इलाकों के साथ-साथ भारत के साथ रिश्तों को सामान्य करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुआ युद्धाभ्यास ड्रैगन को डरा रहा था.
इस घटना के बाद ही चीन ने तवांग में हद पार करते हुए अपनी पैंतरेबाजी दिखाने की कोशिश की. ये कहा भी जा रहा है कि ओली अभ्यास के बाद से चीन बौखला गया है. सीमा पर चीन के सैनिकों की ये हरकत तब सामने आई जब पीएलए ने 20वीं नेशनल पार्टी के कांग्रेस से एक महीने पहले पूरे अरुणाचल प्रदेश में तीन अतिरिक्त संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड और सिक्किम में एक ब्रिगेड को शामिल किया. चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत की खारिज 1959 कार्टोग्राफिक लाइन को लागू करना चाहता है.
जब भारतीय सेना ने खदेड़ कर भगा दिया
9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीनी सेना ने जिस तरह से 300 से ज्यादा जवानों के साथ घुसपैठ कराकर एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की और भारतीय सेना ने उसे खदेड़ कर भगा दिया, उससे लगता है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार भारत की रेस्पॉन्स कैपिसिटी का आकलन करना चाहती थी. हो सकता है फिलहाल इसके जरिए चीन सर्दी के मौसम में अपनी सैन्य तैयारियों को भी दुरुस्त करना चाहता हो. वैसे, चीन की सेना अपने कब्जे में किए क्षेत्र अक्साई चिन और ताशकुरगन इलाके में पूरी तरह से मुस्तैद है, साथ ही साथ अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में भी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में पूरी ताकत झोंकने में व्यस्त है.
अमेरिका के साथ भारत का युद्धाभ्यास
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने जो घुसपैठ की हरकत की है, वह औली युद्धाभ्यास नवंबर, 2022 के महज हफ्ते भर बाद ही हुई है. उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास से चीन इतना छटपटा गया था कि उसने अमेरिका तक को धमकाने की हिम्मत दिखाई थी. तब 30 नवंबर, 2022 को चीन की ओर से भारत से कहा गया था कि दोनों देशों को 1993-1996 के सीमा समझौतों का पालन करना चाहिए और सीमा पर शांति बनाए रखनी चाहिए.
शी जिनपिंग की शासन वाला चीन उस दौर में ऐसी बातें कर रहा है, जब वह लगातार वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पीएलए की गतिविधियां बढ़ाए जा रहा है और पश्चिमी सेक्टर से लेकर पूर्वी सेक्टर तक हर जगह अपनी चाल चलने में लगा हुआ है. नवंबर के आखिर में उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास जिस क्षेत्र में हुआ था, वह तो वास्तविक नियंत्रण रेखा से 100 किलोमीटर दूर है.
क्या चाहता है चीन?
चीन वैकल्पिक शक्ति के रूप में अमेरिका को टक्कर देने के लिए सुदूर प्रशांत और मध्य पूर्व में नए गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहा है. वो भारत को सैन्य स्थिति की याद दिलाकर, भारत के साथ सीमाओं पर सैन्य दबाव बनाना जारी रखेगा और रोक लगाने की कोशिश करेगा. भारत में अपने इकोसिस्टम के जरिए यह संदेश देना चाहता है कि मोदी सरकार को वैश्विक क्षेत्र में बड़ा खेल खेलने के बजाय केवल अपने पड़ोस पर ध्यान देना चाहिए.
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