India-China Clash: भारत और चीन के एक बार फिर टकराव हुआ है. इस बार ये हिंसा अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई. भारतीय सैनिक और चीनी सैनिकों के बीच हिंसा हुई जिसमें कई सैनिक घायल हुए हैं. हालांकि इस खबर को लेकर भारतीय सेना के आधिकारिक बयान का इंतजार है लेकिन मीडिया में ये खबर है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई और इसमें दोनों तरफ से सैनिक घायल हुए हैं.
इससे पहले साल 2021 में अरुणाचल प्रदेश के यांगसे इलाके में भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच विवाद हुआ था. तवांग झड़प को लेकर फिलहाल, जो जानकारी सामने आई है उसमें 30 से अधिक भारतीय सैनिक मामूली रूप से घायल हुए हैं. तो वहीं, चीन के भी कई सैनिक घायल हुए और इनकी संख्या अधिक है. घटना के बाद दोनों देशों के कमांडरों के बीच फ्लैग मीटिंग भी हुई है. इस घटना ने एक बार फिर गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प की याद दिला दी है जिसमें भारतीय सेना के 20 सैनिक घायल हुए थे.
क्या हुआ था गलवान में?
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून साल 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारतीय सेना के कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. दोनों देशों के बीच हुए इस संघर्ष को भारत-चीन सीमा पर पिछले 4 दशकों में हुए सबसे गंभीर संघर्ष बताया गया. भारत ने इस संघर्ष में अपने सैनिकों के हताहत होने की घोषणा कर दी थी लेकिन चीन ने इसका कोई ब्योरा नहीं दिया. हालांकि, भारत ने कहा था कि चीन की सेना को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ था.
चीन बोलता रहा झूठ
इस झड़प को लेकर 16 जून को भारतीय सेना का बयान सामने आया था जिसमें कहा गया था कि झड़प वाली जगह पर ड्यूटी पर तैनात गंभीर रूप से घायल होने वाले 17 सैनिक शहीद हो गए हैं. इस संघर्ष में शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है. चीन ने भी बयान जारी किया मगर इससे ये साफ नहीं हुआ कि उसके कितने सैनिकों की मौत हुई लेकिन कई महीने बाद फरवरी, 2021 में चीन ने गलवान घाटी झड़प में मरने वाले अपने 4 सैनिकों को मरणोपरांत मेडल देने की घोषणा की.
इस रिपोर्ट में अलग दावा
इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई अखबार क्लैक्सन (The Klaxon) की एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें दावा किया गया कि चीन की तरफ से 4 सैनिकों की मौत का आंकड़ा बताया गया, लेकिन असल में ये आंकड़ा 9 गुना ज्यादा है और कम से कम 38 पीएलए जवानों की मौत हुई है. बताते चलें कि एलएसी पर कुछ इलाकों को लेकर विवाद है. चीन इन हिस्सों को कब्जाने की कोशिश करता है. चीन अब एक रणनीति के तहत लद्दाख के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
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