Coronation Sewage Treatment Plant: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejariwal) आज बुराड़ी (Burari) स्थित कोरोनेशन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Coronation Sewage Treatment Plant) का निरीक्षण करने पहुंचे. ये प्लांट सीवर के पानी (Water Of Sewer) को साफ करने और दूषित पानी को साफ़ पानी में उत्पादित करने के लिये सरकार ने तैयार करवाया है. दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) के अधिकारियों ने प्लांट की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोरोनेशन प्लांट (Coronation Plant) की मदद से शक्ति नगर, कमला नगर, रूप नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, नेहरू विहार और विश्वविद्यालय के क्षेत्रों से निकलने वाले वेस्ट वाटर (Waste Water) को ट्रीट किया जाएगा.


इसके अलावा स्वरूप नगर, भलस्वा, संत नगर और वजीराबाद ग्रुप ऑफ कॉलोनियों जैसी अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले सीवेज का भी अब यहां ट्रीटमेंट किया जा सकेगा. इस पहल से यमुना की सफाई होगी. साथ ही पानी में ऑक्सीजन की बढ़ोत्तरी होगी. पानी से तैरती अस्थायी ठोस सामग्री हट जाएगी. पोषक तत्वों के बढ़ने से वनस्पति और जलीय जीवों में भी वृद्धि होगी.


इस प्लांट से बुझेगी दिल्ली की प्यास


इसके निरीक्षण के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली स्थित देश के सबसे बड़े कोरोनेशन प्लांट से यमुना साफ होगी और दिल्ली की प्यास भी बुझेगी. मैंने आज कोरोनेशन प्लांट का निरीक्षण किया. ये 70 एमजीडी क्षमता का पूरी तरह से ऑटोमैटिक प्लांट है. हमारा वादा है कि साल 2025 तक यमुना नदी को साफ़ और स्वच्छ बनाएंगे. इस पर काम युद्ध स्तर से चल रहा है.


सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोनेशन प्लांट से पानी को एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाएगा. इसके बाद पानी को पल्ला लाकर यमुना के जरिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाएंगे, जिसके बाद 50-60 एमजीडी पानी पीने में इस्तेमाल कर सकेंगे. कोरोनेशन एसटीपी के कंप्लीट होने से एक तरफ सीवर साफ होगा, जिससे यमुना साफ होगी और दूसरी तरफ पीने के पानी में भी वृद्धि होगी. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार से इस पानी को पीने में इस्तेमाल करने के लिए हमें अनुमति मिल गई है. अपर यमुना रिवर बोर्ड ने सारे पैरामीटर्स पर जांच की है.


70 जीएमडी क्षमता वाला आधुनिक प्लांट


इस निरीक्षण के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारा मकसद है कि दिल्ली का जितना भी सीवर का पानी यमुना में जाता है, वो पानी साफ करके यमुना में डाला जाए. दिल्ली का यह कोरोनेशन प्लांट शायद देश का सबसे बड़ा प्लांट है. इस प्लांट की क्षमता 70 एमजीडी है. यह प्लांट प्रतिदिन 70 एमजीडी सीवर को ट्रीट कर सकता है. ये एक आधुनिक प्लांट है. ये पूरी तरह ऑटोमेटिक है. इसमें स्काडर सिस्टम है, जिसके जरिए कोई भी बटन दबाकर कहीं भी, पूरे प्लांट में किसी भी मशीनरी को शुरू किया जा सकता है और किसी भी मशीनरी को बंद किया जा सकता है.


सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोनेशन एसटीपी से 70 एमजीडी पानी ट्रीट होकर निकल रहा है. इसको तकनीकी भाषा में 10/10 की शुद्धता कहते हैं. इस पानी को और साफ करेंगे. इसके लिए जहांगीरपुरी ड्रेन के उस तरफ एक और एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट लगाएंगे, जहां पर पानी की शुद्धता को 3/4 तक लेकर जाएंगे. इसके बाद 70 एमजीडी पानी हम यहां से पल्ला लेकर जाएंगे. पल्ला से होकर पानी यमुना के जरिए हमारे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में आएगा. इस तरह, हम लगभग 50 से 60 एमजीडी अतिरिक्त पानी दिल्ली में पीने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये तकनीक सिंगापुर में इस्तेमाल की जाती है. सिंगापुर में इसको न्यू वाटर कहते हैं. उसी आधार पर दिल्ली में भी हम इस्तेमाल कर रहे हैं.


सीवर का पानी पीने के लिए होगा इस्तेमाल


इस दौरान सवालों का जवाब देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस पानी को पीने में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है. हमें केंद्र सरकार से भी इसके लिए अनुमति मिल गई है. हम दो-तीन साल से इसके लिए लगे हुए थे. अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) ने सारे पैरामीटर्स की जांच की है. यह पानी हम पल्ला डालेंगे. पल्ला से कई किलोमीटर पानी यमुना के साथ-साथ होते हुए आएगा. इसके बाद पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में तीसरी बार ट्रीट किया जाएगा और बिल्कुल साफ कर दिया जाएगा. दिल्ली में कोरोनेशन का यह पहला प्लांट है. ओखला में इससे भी बड़ा प्लांट बन रहा है. वह 120 एमजीडी क्षमता का प्लांट है.


कोरोनेशन प्लांट की क्या है ख़ासियत:



  • कोरोनेशन प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है, जो अपशिष्ट जल उपचार क्षमता को बढ़ाएगा. बड़े पैमाने पर दिल्ली में पानी के प्रदूषण पर लगाम लगाएगा.

  • कोरोनेशन प्लांट को जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग और टीएसएस-10 मिलीग्राम प्रति लीटर के अपशिष्ट प्रवाह मानकों के साथ नई तकनीक से बनाया गया है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस हटाने के साथ-साथ कीट भी मारता है, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए मानकों के अनुरूप निर्धारित किया गया है.

  • बिजली उत्पादन के प्रावधान के साथ, इस संयंत्र को चिरस्थाई बनाया गया है. स्काडा प्रणाली से प्लांट की निगरानी होगी और डेटा भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. गाद एवं सीवेज के डी-वाटरिंग का प्रावधान है, जिससे इसे सुखाने वाले क्यारियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. इसलिए ये नया प्लांट दूसरों से अधिक बेहतर काम करता है.

  • प्लांट में मेम्ब्रेन वाला गैस स्टोरेज टैंक भी बनाया गया है. इससे उत्पादित सामग्री को बेहतर तरीके से होल्ड करने के लिए मेंब्रेन-टाइप के गैस होल्डर्स का प्रावधान भी होगा. ये मेम्ब्रेन गैस होल्डर एनारोबिक डाइजेशन (अवायवीय पाचन) की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संयंत्र को लगातार व बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए बायोगैस उपलब्धता की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. इस संयंत्र से क्षेत्र की लगभग 23 लाख आबादी को लाभ होगा.


कोरोनेशन प्लांट पर 515.07 करोड़ रुपए खर्च


कोरोनेशन प्लांट (Coronation Plant) की कुल लागत करीब 515.07 करोड़ रुपए अनुमानित है. इसमें कैपिटल वर्क्स (Capital Works) सिविल और ईएंडएम पर 414.78 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा, जबकि ओ एंड एम एक साल का डीएलपी (DLP) और 10 साल का संचालन और रखरखाव (Maintenance) पर करीब 100.29 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा. प्रोजेक्ट की लागत (Cost Of Project) का 50 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार (Central Government) वहन करेगी, जबकि 50 फीसद हिस्सा दिल्ली सरकार (Delhi Government) वहन करेगी.


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