नई दिल्ली: दिल्ली में चुनावों में बंपर जीत के बाद अब आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाहर किस्मत आजमाने की तैयारी कर रही है. इसी कड़ी में अब आम आदमी पार्टी ने देश के अन्य राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है. पहला जोर संगठन को मजबूत करने पर है और उसके बाद केजरीवाल की पार्टी अन्य राज्यों में चुनाव मैदान में उतरेगी.
दिल्ली चुनावों में जीत के साथ ही शुरू की विस्तार की तैयारी
आम आदमी पार्टी के दिल्ली के संयोजक गोपाल राय का कहना है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावों में मिली धमाकेदार जीत से खासी उत्साहित है. आप नेताओं का कहना है कि दिल्ली में लोगों ने नकारात्मक राजनीति को सबक सिखाया है और विकास की राजनीति का साथ दिया है, लिहाजा इसी विकास की राजनीति को लेकर अब हम देश के अन्य राज्यों में भी जाएंगे और उसकी तैयारी दिल्ली में हुई जीत के बाद से ही शुरू कर दी गई है.
राज्य स्तर के संगठनों को और मजबूत करने की कोशिश
गोपाल राय के मुताबिक सबसे पहले पार्टी की कोशिश है की अलग-अलग राज्यों में संगठन को मजबूत किया जाए और इसी कड़ी में अन्य राज्यों की जो इकाइयां हैं उनसे जुड़े हुए सदस्यों को दिल्ली में बुलाया गया है और उनके साथ बैठकें की जाएंगी. बैठकों में इसी बात पर जोर दिया जाएगा कि कैसे राज्यों में संगठन को मजबूत किया जाए और भविष्य में होने वाले चुनावों की तैयारी की जाए.
निकाय चुनावों से किस्मत आजमाना शुरू करेगी आप
आम आदमी पार्टी की रणनीति साफ है कि राज्यों में संगठन के मजबूत होने के बाद पहले निकाय स्तर के चुनावों से शुरुआत की जाए और धीरे धीरे विधानसभा चुनाव और बाद में भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी की जाए.
बिहार और बंगाल के चुनाव को लेकर फिलहाल रणनीति का खुलासा नहीं
हालांकि पार्टी अभी इसी साल के अंत में होने वाले बिहार और अगले साल होने वाले बंगाल के चुनाव को लेकर अभी अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर रही है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इन चुनावों को लेकर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला किया जाएगा.
2014 के लोकसभा और पंजाब चुनाव में किस्मत आजमा चुकी है 'आप'
इससे पहले आम आदमी पार्टी से इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में 400 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. वहीं पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों चुनावों में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन उसकी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था. उसी से सीख लेते हुए इस बार पार्टी पहले निचले स्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है और उसके बाद ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी करेगी.
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