प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में लगेगा दुनिया का दूसरा स्मॉग टावर, सीएम केजरीवाल ने की घोषणा
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में दो स्मॉग टावर लग रहे हैं, एक केंद्र सरकार लगा रही है और एक दिल्ली सरकार लगाने जा रही है.
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली कैबिनेट ने दो अहम फैसले किए हैं. दिल्ली के अंदर स्मॉग टावर लगाया जाएगा और ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी के तहत अब काटे गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत का ट्रांसप्लांटेशन करना होगा. शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में ये फैसले लिए गए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के अंदर एक स्मॉग टावर लगाया जाएगा. यह स्मॉग टावर दुनिया का दूसरा स्मॉग टावर होगा. पहला स्मॉग टावर चीन में लगा था और दूसरा यहां पर लग रहा है.
सीएम ने बताया कि दिल्ली में दो स्मॉग टावर लग रहे हैं, एक केंद्र सरकार लगा रही है और एक दिल्ली सरकार लगाने जा रही है. केंद्र सरकार जो स्मॉग टावर लगा रही है वो आनंद विहार में लगेगा और दिल्ली सरकार की ओर से कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर लगाया जाएगा. हालांकि ये स्मॉग टावर चीन के स्मॉग टावर की तकनीक से अलग हैं. चीन के स्मॉग टावर की तकनीक में टावर नीचे से हवा खींचता है और हवा को साफ करके ऊपर को फेंकता है. जबकि दिल्ली सरकार जो स्मॉग टावर लगा रही है वो ऊपर से हवा खींचेगा और उस हवा को साफ करके नीचे फेंकेगा, ताकि लोगों को नीचे साफ हवा मिल सके. यह अपनी तरह का पहला स्मॉग टावर होगा.
इस स्मॉग टावर को लगाने के लिए दिल्ली कैबिनेट ने 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले 10 महीने के अंदर यह बनकर तैयार हो जाएगा. दिल्ली सरकार का कहना है कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है और अगर यह सफल हुआ, तो फिर इस तरह के कई और स्मॉग टावर दिल्ली के अंदर लगाए जाएंगे.
इसके साथ ही दिल्ली कैबिनेट ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी भी पास कर दी है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि अब एक पेड़ काटने के बदले 10 पौधे तो लगाने ही होंगे, इसके अतिरिक्त उसमें से 80 प्रतिशत पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करना होगा. दिल्ली सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने वाली एजेंसी का एक पैनल बनाएगी और संबंधित विभाग इनमें से किसी एजेंसी से काम करा सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत से कम जीवित होने पर उस एजेंसी के भुगतान में कटौती की जाएगी और 80 प्रतिशत से ज्यादा जीवित होने पर पूरा भुगतान किया जाएगा. दिल्ली सरकार डेडीकेटेड ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल और स्थानीय कमेटी बना रही है. स्थानीय कमेटी ट्रांसप्लांट हुए पेड़ों की जांच और निगरानी करने के साथ सही ट्रांसप्लांटेशन होने पर प्रमाण पत्र देगी.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पूरे देश में पहला प्रदेश है, जहां पर ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास की गई है. इसमें हमने कहा है कि एक पेड़ कटेगा तो क्षतिपूर्ति के तौर पर 10 पौधे तो लगाने ही लगाने हैं, उसके अतिरिक्त उस पेड़ को काटना नहीं है. आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि उस पेड़ को नीचे से खोदकर कर पूरे के पूरे पेड़ को उठा कर ट्रक में डाल कर दूसरी जगह लगाया जा सकता है, इसको ट्रांसप्लांटेशन कहते हैं. उस पेड़ को काटने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसको नीचे से वैज्ञानिक तरीके से उखाड़ कर और केमिकल का इस्तेमाल करके ट्रक में डालकर उसको दूसरी जगह लगाया जाता है.
सीएम ने कहा कि इस पॉलिसी में किसी भी प्रोजेक्ट में जो पेड़ काटे जाएंगे, उसमें से कम से कम 80 प्रतिशत पेड़ ट्रांसप्लांटेशन किए जाएंगे और जो पेड़ ट्रांसप्लांटेशन किए गए हैं, उनका कम से कम 80 प्रतिशत जीवित रहने चाहिए, सिर्फ खानापूर्ति नहीं करनी है. दिल्ली सरकार ऐसी एजेंसी, जो अच्छा ट्रांसप्लांटेशन करती हैं, राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी है, उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और उनका अनुभव अच्छा है, ऐसी एजेंसी का एक पैनल बनाएगी और केंद्र सरकार या दिल्ली सरकार का विभाग पेड़ काटने या ट्रांसप्लांटेशन की अनुमति लेना चाहता है, वह इन पैनल की हुई एजेंसी में से किसी से भी वह काम करवा सकता हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के खिलाफ ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ अभियान शुरू किया है. हाल ही में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी लागू करने, ट्री ट्रांसप्लांटेशन और पराली से निपटने की बॉयो डिकम्पोज़र तकनीक समेत कई से फैसले प्रदूषण के मद्देनजर सरकार ने लिये हैं.
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