नई दिल्ली: दिल्‍ली-एनसीआर में मजदूरों के पलायन पर चिंतित दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों से अपील की है कि वो कहीं न जाएं. केजरीवाल ने कहा है कि आप जहां हैं वहीं रहें, हम हर संभव मदद करने के लिए तैयार है. केजरीवाल ने कहा,'' जहां हैं वहीं रहें क्योंकि कोरोना वायरस फैलने का खतरा ज्यादा लोगों के एकत्र होने से बढ़ता है. मैं आपके लिए सारे इंतजाम कर रहा हूं.''


अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा,''आपके रहने और खाने की पूरी व्यवस्था है. आपका पूरा ख्याल रखा जाएगा."





हालांकि केजरीवाल के इस ट्वीट पर बॉलीवुड प्रोड्यूसर अशोक पंडित ने जमकर निशाना साधा. उन्होंने केजरीवाल के ट्वीट को रिट्विट करते हुए लिखा, "आप सबसे भअसंवेदनशील राजनेता हैं जो केवल झूठ बोलते हैं. उनसे आपने वोट ले लिए और उन्हें दिल्ली की सीमा पर ऐसे समय में छोड़ दिया जब उन्हें आपकी सबसे अधिक आवश्यकता थी.





दिल्ली और आसपास के इलाकों से अपने प्रदेश लौट रहे हैं प्रवासी


कोरोना वायरस के प्रकोप से देश पहले ही त्रस्त है अब दिल्ली समेत आस-पास के इलाकों से पलायन का गंभीर संकट और खड़ा हो गया है. दिल्ली से चौथे दिन भी हजारों मजदूरों का पलायन जारी है. भूखे-प्यासे लोगों की सुध लेने को लेकर कोई सरकार संजीदा नहीं दिख रही है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की राज्य सरकारों ने एक दूसरे को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि स्तिथि ऐसी रही तो लॉकडाउन फेल हो जाएगा.


दिल्ली के आनंद विहार में दिखे हजारों मजदूर

दिल्ली के आनंद विहार पर कल से ही हजारों की तादाद में मजदूर मौजूद थे. वे अब भी वहां मौजूद हैं हांलांकि कल रात तक दिखी भीड़ के मुकाबले अब कुछ लोग कम हैं. कई लोग सड़क के किनारे बने फुटपाथ पर अपना सामान लिए सो रहे हैं तो कुछ लोग बस डिपो पर इक्कठा होना शुरू हो गए हैं. ये सब इस उम्मीद में आए हैं कि शायद बस अब चलना शुरू होगी और उन्हें अपने अपने घर तक छोड़ आएंगी.


पैदल घरों को लौट रहे हैं प्रवासी

देश में कोरोना का कहर है तो सड़कों पर गांवों का शहर है. एक भी मुख्य सड़क बची नहीं है जहां पर गांव जाने वाले गरीबों का रेला नहीं लगा है. हर सड़क पर गरीबी और लाचारी ही बिखरी पड़ी है. अब पूरे देश में लॉकडाउन होने के कारण सैकड़ों प्रवासी पैदल ही अपने घरों की ओर लौटने को मजबूर हैं. इन लौटने वालों में हिंदुस्तान के मस्तक से गुजरती तकलीफ और वेदना की लकीरें दिखती हैं. भूख और गरीबी की अटूट जंजीरें, बिलखते बच्चे, तड़पती माताएं और छटपटाते पिता इस भीड़ का हिस्सा हैं.