आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की गिरफ्तारी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. बुधवार (17 जुलाई, 2024) को कोर्ट में सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सीबीआई के वकील डी. पी. सिंह के बीच गरमा-गरम बहस हो गई. सिंघवी इस दौरान गुस्से में नजर आए और उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली सीएम केजरीवाल की हालत आम इंसान से भी बदतर बना दी है.


अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई की गिरफ्तारी को इंश्योरेंस अरेस्ट करार देते हुए कहा, 'दुर्भाग्यवश यह रिहाई रोकने के लिए की गई गिरफ्तारी (इंश्योरेंस अरेस्ट) है. मेरे पास (ईडी के मामलों में) बहुत ही सख्त प्रावधानों में प्रभावी रिहाई के तीन आदेश हैं... इन आदेशों से पता चलता है कि व्यक्ति रिहाई के लिए अधिकृत है. उसे रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन उसकी रिहाई न हो यह सुनिश्चित करने के लिए उसे गिरफ्तार किया गया है.'


अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा कि केजरीवाल आतंकवादी नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी कानून के तहत नहीं हुई है और मुख्यमंत्री होने के नाते वह जमानत के हकदार हैं. उन्होंने दलील दी, 'यह एक दुर्लभतम मामला है. वह (केजरीवाल) पहले से ही ईडी मामले में हिरासत में हैं और सीबीआई पिछले एक साल से कुछ नहीं कर रही है और फिर अचानक उन्हें गिरफ्तार कर लेती है.'


उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के मामले का भी जिक्र किया और कहा, यह गिरफ्तारी) एक गैर-आवश्यक गिरफ्तारी है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. हम सभी ने हाल में अखबारों में पढ़ा कि एक के बाद एक कई मामलों में खान को रिहा कर दिया गया, लेकिन जिस दिन वह जेल से बाहर आए, उन्हें किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. अब वे (पाकिस्तानी अधिकारी) उनके खिलाफ एक बड़ा मामला दर्ज करना चाहते हैं. मैं नहीं चाहता कि हमारे देश में भी ऐसी ही चीजें हों.'


सीबीआई की ओर पेश हुए अधिवक्ता डी.पी.सिंह ने केजरीवाल की याचिकाओं का विरोध किया. अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से पहले नोटिस न दिए जाने के मुद्दे पर डी. पी. सिंह ने दलील दी कि दिल्ली कारागार नियम के तहत अदालत की हिरासत में मौजूद किसी व्यक्ति से पूछताछ करने के लिए अदालत की अनुमति लेना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि सीबीआई को केजरीवाल को पहले से सूचना देने की जरूरत नहीं थी. 


एडवोकेट सिंह ने कहा कि केजरीवाल से 24 जून को सीबीआई ने पूछताछ की थी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया और अगर यह इंश्योरेंस अरेस्ट होता, तो वह सीआरपीसी की धारा 41 के तहत गिरफ्तारी के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकती थी, लेकिन मैं (सीबीआई) ऐसा नहीं करता. हम वापस आते हैं और उनके बयान का मूल्यांकन करते हैं. और फिर हम तय करते हैं कि हमें उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए.'


उन्होंने कहा कि एजेंसी को आरोपी को बुलाने का समय तय करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल की भूमिका पहले स्पष्ट नहीं थी, क्योंकि आबकारी नीति आबकारी मंत्री के अधिकार क्षेत्र में आती है. उन्होंने कहा कि हालांकि, जब उनकी संलिप्तता प्रासंगिक हो गई तो उन्हें सीबीआई ने तलब किया.


यह भी पढ़ें:-
'मैं संसद में कंगना को ढूंढ रहा था...', बॉलीवुड टू पॉलिटिक्स कैसे हैं रिश्ते, चिराग पासवान ने बताया