Arvind Kejriwal Bail Conditions: दिल्ली शराब नीति से जुड़े सीबीआई केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार (13 सितंबर, 2024) को जमानत मिली, जिसके बाद दिल्ली सीएम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने साफ किया कि यह गलत सूचना फैलाई जा रही है कि अरविंद केजरीवाल जमानत पर बाहर रहने के दौरान किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं.


उन्होंने असल बात बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में 12 जुलाई को पारित पिछले आदेश में कोई बदलाव नहीं किया है. अभिषेक मनु सिंघवी की यह प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल को बेल के कुछ घंटों बाद आई.


अंग्रेजी न्यूज चैनल 'इंडिया टुडे' को दिल्ली सीएम के वकील ने बताया, "यह गलत सूचना फैलाई जा रही है कि अरविंद केजरीवाल किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते. आप प्रमुख सभी फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, सिवाय उन फाइलों के जो शराब नीति मामले से जुड़ी हैं, जिसके तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था."


'अरविंद केजरीवाल पर नहीं लगाई गई कोई नई शर्त'


अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि अरविंद केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है. उन्होंने कहा, "दिल्ली सीएम पर कोई नई शर्त नहीं लगाई गई है. यह कहना बेबुनियाद है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं कर सकते. आपने जिन शर्तों का जिक्र किया है, वे ईडी मामले में कई महीनों से थीं, एक भी नई शर्त नहीं रखी गई है. वह इस मामले से संबंधित फाइलों को छोड़कर सभी फाइलों से निपटने और उन पर हस्ताक्षर करने के हकदार हैं."


चुने CM को हथकंडे अपना...बोले अभिषेक मनु सिंघवी


अभिषेक मनु सिंघवी आगे बोले, "12 जुलाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह अंतर किया गया, जिसमें कहा गया कि अरविंद केजरीवाल उन सभी फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जो उपराज्यपाल के पास जानी हैं. जो फाइलें अन्य लोगों के पास हैं, उन पर उनके मंत्री हस्ताक्षर करते हैं. यह कहना राजनीतिक है कि वह काम नहीं कर सकते. मैं बस इतना ही कहूंगा कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को इस तरह के हथकंडे अपनाकर नहीं हटाया जाना चाहिए."


दिल्ली CM के बाहर होने पर नहीं आएगा राजनीतिक संकट!


वरिष्ठ अधिवक्ता के मुताबिक, "चूंकि, अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर हैं, इसलिए दिल्ली में शासन संबंधी कोई संकट नहीं होगा. अब जब वह जेल से बाहर आ गए हैं, उनके मंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं और वह उपराज्यपाल के लिए भी फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, मुझे नहीं लगता कि शासन कोई मुद्दा है."


SC की बेंच ने कौन सी दो शर्तें रखीं बरकरार?


दरअसल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने जमानत की केवल दो शर्तें बरकरार रखीं कि वह सुनवाई की हर तारीख को निचली अदालत के सामने मौजूद रहेंगे, जब तक कि उन्हें छूट न दी जाए और मुकदमे को शीघ्र पूरा करने में पूरा सहयोग करेंगे. इसने उन शर्तों को हटाने का फैसला लिया कि मुख्यमंत्री दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते या फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते. 

 

हालांकि, इस मामले में राहत लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने पहले 10 मई और 12 जुलाई, 2024 को कुछ खास शर्तें लगाई थीं. यह स्पष्ट किया गया कि इन शर्तों में कोई भी बदलाव या वापसी केवल एक बड़ी संविधान पीठ की ओर से ही की जा सकती है.

जानिए क्या हैं ये शर्तें?



  • अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी

  • वह “आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी करने के लिए ऐसा करना जरूरी न हो”

  • वह शराब नीति से जुड़े मामले में अपनी भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे

  • वह मामले के किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे और न ही आधिकारिक केस फाइलों तक पहुंच रखेंगे.


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