दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त, 2024) को आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के इस तर्क के पीछे कोई दुर्भावना नजर नहीं आती है, जिसमें कहा गया कि अरविंद केजरीवाल की जमानत के बाद वह कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके.


हाईकोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक हैं. जस्टिस  नीना बंसल कृष्णा ने अपने 48 पन्नों के फैसले में कहा, 'गवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि सीबीआई ने बताया है.'


दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल, 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ जांच में जुटी रही. कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल के पद के कारण और उनके प्रभाव की वजह से महत्वपूर्ण गवाह सामने नहीं आ रहे. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए.


हाईकोर्ट ने कहा कि हर कोर्ट का यह दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि गिरफ्तारी और रिमांड की असाधारण शक्तियों का दुरुपयोग न हो या पुलिस कोई लापरवाही न करे और अक्खड़ तरीके से शक्तियों का उपयोग न किया जाए. अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि सीबीआई ने अगस्त 2022 में प्राथमिकी दर्ज की थी और पिछले दो सालों से जांच चल रही है. उन्होंने कहा था कि गिरफ्तारी ज्ञापन में कोई नया सबूत या आधार नहीं है जो इस साल जून में उनकी गिरफ्तारी को सही ठहरा सके. सिंघवी की दलील पर सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सीधे हाईकोर्ट चले गए. सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पहले निचली अदालत में अपील करनी चाहिए थी.


दिल्ली हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया और अरविंद केजरीवाल को राहत के लिए अधीनस्थ अदालत में जाने की छूट प्रदान की है. हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने केजरीवाल और केंद्रीय एजेंसी के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 29 जुलाई को आप नेता की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.


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