दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार (13 सितंबर, 2024) को जमानत मिलने बाद पूरा परिवार और आम आदमी पार्टी (AAP) उनके जेल से बाहर आने का इंतेजार कर रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां ने केजरीवाल को जमानत देते हुए अपने-अपने फैसले सुनाए. जस्टिस उज्जल भुईयां ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) की गिरफ्तारी की टाइमिंग और आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं. वहीं, जस्टिस सूर्यकांत को सीबीआई  की गिरफ्तारी में अवैधता नहीं लगी. 


अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जांच कर रही है. ईडी के मामले में उन्हें 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई थी, लेकिन सीबीआई मामले में हिरासत के चलते वह जेल से बाहर नहीं आ सके. उन्होंने सीबीआई अरेस्ट के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी, जिस पर उनको रिहाई मिल गई है. 5 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.


जस्टिस सूर्यकांत ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए अपने फैसले में कहा कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए मजिस्ट्रेट की अनुमति से दूसरे केस में पुलिस हिरासत में लिए जाने में कोई गलती नहीं. उन्होंने कहा कि हमने गिरफ्तारी की वैधता और रिहाई के आवेदन पर विचार किया है. यह भी देखा है कि चार्जशीट दाखिल हो जाने से क्या अंतर पड़ा है.


जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल को सीबीआई हिरासत में लिया जाना कानूनी तौर पर गलत नहीं था. नियमित जमानत के सवाल पर हमने चर्चा की. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'कई फैसलों में किसी को बिना मुकदमा लंबे समय तक बंद रखना गलत माना गया है. ऐसा तभी किया जाता है जब उस व्यक्ति के बाहर आने से उस केस या समाज को कोई नुकसान पहुंचने का अंदेशा हो.'


जज ने कहा कि मामले में आरोपियों, गवाहों और दस्तावेजों की बड़ी संख्या है. मुकदमे में समय लगेगा इसलिए जमानत पर रिहाई का आधार बनता है. जस्टिस सूर्यकांत ने अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों, केस पर टिप्पणी न करने और जांच में सहयोग करने के साथ सशर्त जमानत दे दी है. कोर्ट ने सीबीआई के उस आवेदन का भी जक्र किया, जिसमें लिखा गया है कि गिरफ्तारी क्यों जरूरी थी. जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई की गिरफ्तारी को सीआरपीसी की धारा 41(ए)(3) का उल्लंघन नहीं माना.


जस्टिस उज्जल भुइयां ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी जरूरत नहीं थी. उनके अनुसार गिरफ्तारी की शक्ति का इस्तेमाल किसी को टारगेट करते हुए उसके उत्पीड़न के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आरोपी सिर्फ अभियोजन पक्ष के हिसाब से ही जवाब दे. आरोपी के जवाब देने को जांच में सहयोग और उसके चुप रहने के अधिकार को टालमटोल की कोशिश नहीं कहा जाना चाहिए. जस्टिस भुइयां ने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल ईडी मामले में जमानत पर हैं तो उन्हें जेल में रखना सही नहीं.


दोनों ही जजों की राय अरविंद केजरीवाल की जमानत पर समान थी, लेकिन सीबीआई की गिरफ्तारी पर दोनों की राय एकदम अलग थी. उनका कहना है कि मुकदमे के दौरान लंबे समय तक आरोपी को जेल में रखने को जायज नहीं ठहरा सकते हैं. 


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