Arvind Kejriwal Bail: आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत तो दे दी पर उनकी गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के दो जज (जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां) अलग-अलग मत रखते नजर आए. जस्टिस उज्जल भुइयां ने हियरिंग के दौरान सीबीआई की ओर से गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठाए. आइए, जानते हैं कि बेंच ने उस दौरान ऐसी कौन सी बड़ी बातें कहीं, जिनसे न सिर्फ अरविंद केजरीवाल को राहत मिली बल्कि आप नेताओं के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई होगी! 


जस्टिस भुइयां ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी की टाइमिंग पर भी सवाल दागे. उन्होंने कहा कि जब ईडी के मामले में ज़मानत मिल गई थी तभी सीबीआई ने दोबारा गिरफ़्तार कर लिया. देश की प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते उसे मनमानी तरीके से गिरफ्तारियां करते हुए नहीं देखा जाना चाहिए.


केजरीवाल की बेल पर CBI को एक का साथ तो दूसरे की फटकार


बेंच के दोनों जजों ने दोनों मामलों में अपने-अपने आदेश सुनाए. जिस पर जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई की गिरफ़्तारी में कोई अवैधता नहीं पाई, लेकिन जस्टिस भुयान ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी की ज़रूरत और समय पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि उनकी आगे की हिरासत पूरी तरह से अस्वीकार्य है. ख़ास तौर पर यह देखते हुए कि उन्हें शराब नीति 'घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही ज़मानत मिल चुकी है.


केजरीवाल को जमातन के बाद जेल में रखना न्याय का मजाक!


जस्टिस भइयां ने कहा, "सीबीआई ने 22 महीनों तक अपीलकर्ता को गिरफ़्तार करने की ज़रूरत महसूस नहीं की, तो मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि जब अपीलकर्ता ईडी मामले में रिहा होने वाला था तो उसे गिरफ़्तार करने की इतनी जल्दी और तत्परता क्यों थी.  मैं इस बात पर पूरी तरह सहमत हूं कि सीबीआई द्वारा अपीलकर्ता की देरी से गिरफ़्तारी अनुचित है. अपीलकर्ता को पीएमएलए के ज़्यादा कड़े प्रावधानों के तहत ज़मानत मिल चुकी है तो उसी अपराध के लिए सीबीआई द्वारा अपीलकर्ता की आगे की हिरासत पूरी तरह से अस्वीकार्य हो गई. ऐसे में जमानत मिलने के बावजूद केजरीवाल को जेल में रखना न्याय का मजाक उड़ाना होगा."


'CBI को पिंजरे में बंद तोता नहीं होना चाहिए'


जस्टिस भुइयां आगे कहा, "सीबीआई की ओर से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के समय और तरीके पर सवाल उठाए हैं. यह धारणा बदलनी चाहिए कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है. सीबीआई को निष्पक्ष रूप से देखा जाना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि गिरफ्तारी मनमानी तरीके से न हो. देश में धारणा मायने रखती है और सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर निकला तोता है." यह टिप्पणी तब आई, जब जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने पांच अगस्त के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को अरविंद केजरीवाल की चुनौती पर शुक्रवार (13 सितंबर) को फैसला सुनाया, जिसमें सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने और जमानत मांगने की उनकी याचिकाओं को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता के साथ खारिज कर दिया गया.


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