Arvind Kejriwal ED Custody: आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बुधवार (27 मार्च) को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि उनकी गिरफ्तारी उन आरोपी लोगों के बयानों के आधार पर है, जो बाद में सरकारी गवाह बन गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री का कहना है कि उनके खिलाफ कोई अन्य सबूत नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. वह अभी ईडी की कस्टडी में हैं. 


केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ऐसे सरकारी गवाहों की तुलना ट्रोजन हॉर्स (लकड़ी का घोड़ा, जिसका काम लोगों को फंसाना होता है) और मध्यकालीन के राजा जयचंद से की. जयचंद को लेकर कहा जाता है कि उसने गोरी राजवंश के साथ मिलकर भारतीय शासकों को धोखा दिया था. ईडी की गिरफ्तारी और ट्रायल कोर्ट के जरिए जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर बहस के दौरान ये दलीलें दी गईं. 


जयचंदों और ट्रोजन हॉर्स ने हमेशा किया विश्वासघात: अभिषेक मनु सिंघवी


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "जिन लोगों को सरकारी गवाह कहा जाता है. हमारे इतिहास में, चाहे फिर वो अच्छे मकसद के लिए है या फिर बुरे, अदालतों ने ऐसे लोगों को जयचंद और ट्रोजन हॉर्स जैसे शब्दों से नवाजा है. इतिहास इन जयचंदों और ट्रोजन हॉर्स पर कड़ा रहा है. उन्होंने हमेशा विश्वासघात किया है." उन्होंने आगे कहा, "एक सरकारी गवाह सबसे कम भरोसे लायक दोस्त होता है."


अदालत में अपनी दलीलें देते हुए सिंघवी ने आगे कहा कि केजरीवाल को उन लोगों के बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जो पहले इस मामले में अरेस्ट हुए थे. बाद में जैसे ही वे सरकारी गवाह बने, वैसे ही उन्हें जमानत मिल गई.


अभिषेक मनु सिंघवी ने समझाया सरकारी गवाहों का पैटर्न


केजरीवाल के वकील ने उनकी ओर से अदालत में कहा, "आरोपी का बयान दर्ज किया जाए. उसमें मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं है. उस व्यक्ति (आरोपी) की गिरफ्तारी होती है. वह जेल में सड़ता है और जमानत के लिए आवेदन देता है. फिर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल कोर्ट से कहते हैं कि ईडी आरोपी की जमानत का कोई विरोध नहीं कर रही है. जमानत मांगने के दौरान कहा गया कि आरोपी की पीठ में दर्द है."


वकील ने आगे कहा, "आरोपी व्यक्ति बाहर आता है और फिर मेरे खिलाफ बयान देता है. इसके बाद वह सरकारी गवाह बन जाता है. शराब नीति केस से जुड़े हर मामले में यही हुआ है. यह संवैधानिक सुरक्षा उपायों की धज्जियां उड़ाने वाला है." सिंघवी ने आगे कहा कि ऐसे किसी भी कथन की कोई पुष्टि नहीं है. 


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