केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में वाहन प्रदूषण कम करने के लिए उठाए ये तीन महत्वपूर्ण कदम, जानें क्या है लक्ष्य
दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 30 फीसदी है. केजरीवाल सरकार ने वाहन प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2020 में हाईड्रोजन मिक्स कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (एचसीएनजी) चलित बसें शुरू की हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी को वाहन प्रदूषण मुक्त करने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. केजरीवाल सरकार की तरफ से ईवी नीति दिल्ली में लागू की गई है. इसके अलावा दिल्ली सरकार की तरफ से एचसीएनजी से चलने वाली बसें पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की गई हैं. रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ, ऑड-ईवन जैसे अभियान चलाए गए हैं.
सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को देश की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की राजधानी बनाने की तरफ अग्रसर है. सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी समेत कई अहम कदम उठाए हैं, ताकि दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को को खत्म किया जा सके.
इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति का मुख्य उद्देश्य दिल्ली मॉडल के तहत दिल्ली की अर्थ व्यवस्था को गति देने के साथ प्रदूषण को कम करना है. सरकार का लक्ष्य है कि दिल्ली में 2024 तक कुल पंजीकृत वाहनों में 25 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन होंगे. सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी दे रही है. टू व्हीलर, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा व माल वाहक वाहन खरीदने पर 30 हजार रुपये और चार पहिया वाहन कार खरीदने पर 1.5 लाख रुपए वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा. पुराने डीजल या पेट्रोल वाहनों को बदल कर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं, तो उस पर स्क्रैपिंग इंसेंटिव दिया जा रहा है. ऑटो रिक्शा या दो, तीन पहिया व मालवाहक वाहन जैसे वाणिज्यिक वाहनों को खरीदने पर दिल्ली सरकार कम ब्याज दर पर लोन दे रही है. सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क माफ है. इसके लिए स्टेट ईवी फंड, स्टेट ईवी बोर्ड और डेडिकेटेड ईवी सेल का गठन किया गया है.
दिल्ली सरकार का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलने से न सिर्फ प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा. बड़े पैमाने पर नई नौकरियां पैदा होंगी और दिल्ली सरकार इसके लिए युवाओं को विश्व स्तरीय स्किल सेंटरों में प्रशिक्षण दिलाएगी.
पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही एचसीएनजी से चलने वाली बसें दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 30 फीसदी है. केजरीवाल सरकार ने वाहन प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2020 में हाईड्रोजन मिक्स कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (एचसीएनजी) चलित बसें शुरू की हैं. पायलट प्रोजेक्ट और स्टडी पर 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 50 बसों में ईंधन के लिए एचसीएनजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए राजघाट डिपो पर पहला एचसीएनजी प्लांट लगाया गया है. बसों में एचसीएनजी के इस्तेमाल से 70 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड और 15 प्रतिशत हाइड्रोकार्बन कम होगा. पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर अन्य बसों में भी हाइड्रोजन सीएनजी ईंधन का इस्तेमाल किया जाएगा.
केजरीवाल सरकार ने शुरू की रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से अक्टूबर में ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान की शुरूआत की थी. सीएम की अपील पर दिल्ली निवासियों ने बढ़-चढ़ कर अभियान में हिस्सेदारी की और दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों ने पूरे अभियान तक सड़क पर उतर कर वाहन चालकों को जागरूक किया. साथ ही, 2500 सिविल डिफेंस वॉलिंटियर नियुक्त कर उन्हें दिल्ली के उन 100 व्यस्त चौराहों पर लगाया गया, जहां वाहनों को रेड लाइट होने पर 2 मिनट या अधिक समय तक रूकना पड़ता है. इस दौरान वॉलिंटियर्स ने चालकों से अपनी गाड़ी बंद करने की अपील की और दिल्ली ने भी अभियान में पूरा साथ दिया.