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Delhi Ordinance Row: अध्यादेश के खिलाफ नीतीश कुमार, ममता बनर्जी के बाद सीएम केजरीवाल को मिला उद्धव ठाकरे का समर्थन, क्या कुछ बोले?

Delhi Ordinance Row: सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश पर विरोध के मद्देनजर मुंबई में उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे.

Delhi Ordinance Row: केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों को साथ लाने की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की कवायद लगातार जारी है. अरविंद केजरीवाल आज 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने उनके घर पहुंचे. इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात काफी सकारात्मक रही.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी दिल्ली का साथ देने का एलान कर दिया है. इससे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस अध्यादेश का राज्यसभा में विरोध करने का एलान कर चुके हैं. 

मुंबई में हुई मुलाकात के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों को शिवसेना और उद्धव ठाकरे का भी साथ मिल गया है. हम सभी मिलकर जन विरोधी और दिल्ली विरोधी कानून को राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे. वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा कि दिल्ली के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया गया फैसला लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी था, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर इसे पलट दिया. लोकतंत्र विरोधी लोगों से देश के संविधान को बचाने के लिए हम सभी साथ हैं.

'सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानते' 
AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का धन्यवाद करते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि दिल्ली के लोगों ने अपने अधिकारों के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़ी. 2015 में जैसे ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, वैसे ही मोदी सरकार ने एक अधिसूचना पारित कर हमारी सारी शक्तियां छीन लीं. हमारी फरवरी 2015 में सरकार बनी और मई में (तीन महीने के अंदर) मोदी सरकार ने अधिसूचना जारी कर हमारी शक्तियां हमसे छीन लीं. इसके बाद दिल्ली के लोगों ने 8 साल तक सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, उसके मात्र 8 दिन के अंदर ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर दोबारा हमसे हमारी सारी शक्तियां छीन लीं.

उन्होंने कहा कि जनतंत्र में तो चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए. जिससे वो जनता के हित में कार्य कर सके क्योंकि जनतंत्र में चुनी हुई सरकार ही जनता के प्रति जवाबदेह होती है, लेकिन मोदी सरकार ने हमने सारी शक्तियां छीन लीं. ये लोग साफ कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानते हैं.

'पैसे के बल पर विधायकों को तोड़कर गिरा दी सरकार'
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हमने यह भी देखा कि कैसे इनके मंत्रियों और नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायाधीशों को गालियां दीं. ये देश के न्यायाधीशों को गंदी-गंदी गालियां देते हैं. देश की न्यायपालिका और न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाते हैं. इनके लोग सेवानिवृत न्यायाधीशों को देशद्रोही बोलते हैं. ये देश की न्यायपालिका को नहीं मानते. अब अध्यादेश लाकर इन्होंने ये साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट चाहे जो मर्जी फैसले ले, हम उसे नहीं मानते हैं. हम कभी भी अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देंगे. इस प्रकार तो देश नहीं चल पाएगा. ये लोग देश के लोकतंत्र को भी नहीं मानते. इसकी शिवसेना सबसे बड़ी भुक्तभोगी है. महाराष्ट्र में जनता की बहुमत से चुनी हुई सरकार को इन्होंने ईडी-सीबीआई और पैसे के बल पर विधायकों को तोड़कर गिरा दिया. यह सबने देखा है.

'दिल्ली में दो-तीन बार बीजेपी ने किया ऑपरेशन लोटस'
केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी तीन तरह से गैर बीजेपी शासित राज्य सरकारों की शक्तियां छीन रही है. साथ ही अगर किसी राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं बनती है तो ये उसके विधायकों को खरीद कर सरकार गिरा देंगे या विधायकों को ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर उनकी सरकार को गिरा देंगे या फिर अध्यादेश लाकर विपक्षी दलों की सरकार की शक्तियां छीन लेंगे. यही काम बीजेपी ने दिल्ली में किया.  

उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने दिल्ली में दो-तीन बार ऑपरेशन लोटस किया और हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश की, लेकिन हमारा एक भी विधायक नहीं बिका. जब बीजेपी ने देखा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं गिर रही तो इन्होंने अध्यादेश लाकर हमारी सारी शक्तियां छीन लीं. इन लोगों को बहुत ज्यादा अहंकार हो गया है. जब किसी आदमी को बहुत ज्यादा अहंकार हो जाता है तो वह बहुत स्वार्थी हो जाता है. इतने अहंकार और स्वार्थ के बीच जीने वाला व्यक्ति देश नहीं चला सकता, फिर वो देश के बारे में नहीं सोचता है. केंद्र का अध्यादेश इनके अहंकार का नजीता है कि सुप्रीम कोर्ट की हिम्मत कैसे हो गई हमारे खिलाफ आदेश देने की. हम देखते हैं. जब कोई व्यक्ति अहंकार में आ जाता है तो फिर कुछ नहीं बचता है.

'देश की जनता को नींद से आए हैं जगाने'
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि आने वाला साल चुनाव का है. इस बार अगर ट्रेन छूट गई तो हमारे देश से प्रजातंत्र हमेशा के लिए गायब हो जाएगा. प्रजातंत्र को बचाने के लिए हम एक साथ आए हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं विपक्षी एकता शब्द का प्रयोग नहीं करूंगा क्योंकि हम किसी के विपक्ष या विरोधी नहीं हैं. हम सभी देशप्रेमी हैं. देश से जो लोग प्रजातंत्र को हटाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को हम लोकतंत्र विरोधी कहते हैं. आज हम देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए और इन लोकतंत्र विरोधी लोगों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आए हैं. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले दिए. इसमें से एक शिवसेना के बारे में और दूसरा दिल्ली के विषय में था.

उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सबसे ज्यादा महत्व लोक प्रतिनिधि का होना चाहिए. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बारे में जो सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला किया है, वह प्रजातंत्र के लिए आवश्यक था, लेकिन इसके खिलाफ केंद्र सरकार जो अध्यादेश लेकर आई वो प्रजातंत्र के खिलाफ है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि आम आदमी पार्टी को जनता ने चुना है, वो जनता के प्रतिनिधी हैं इसलिए उन्हें कुछ अधिकार होने चाहिए. इस तरह से तो भविष्य में शायद ऐसे भी दिन आ जाएंगे, जब राज्यों में चुनाव ही नहीं होंगे. केंद्र में ही सिर्फ चुनाव होंगे और वो भी सिर्फ 2024 तक लोकसभा चुनाव होने की संभावना है. जनता जो फैसला करेगी, उसका परिणाम सामने दिखेगा इसलिए आज हम देश की जनता को नींद से जगाने के लिए साथ आए हैं.

'राजभवन आज बीजेपी के बन गए हैं मुख्यालय'
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आज लोकतंत्र गंभीर खतरे में है. आज जनता से चुने हुए लोग नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के चयनित लोग जनता और सरकार को चला रहे हैं. लोकतंत्र का मतलब होता है कि जिन्हें जनता ने चुनकर भेजा है, मगर राज्यपाल तो केंद्र सरकार का चयनित हैं. राज्यपाल और उपराज्यपाल को जनता ने नहीं चुना है और न ही उन्होंने जनता का वोट लिया है. उन्हें तो केंद्र सरकार ने अपनी मर्जी से चयनित कर चुनी हुई सरकार को तंग करने के लिए भेजा है. पंजाब में राज्यपाल इस बात से मुकर गए कि वे बजट सत्र में 'मेरी सरकार' शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हमें सुप्रीम कोर्ट में जाकर इसके लिए आदेश लेना पड़ा. देशभर के राजभवन आज बीजेपी के मुख्यालय बन गए हैं और राज्यपाल इनके स्टार प्रचारक बन गए हैं. ये लोग जहां जीतकर नहीं आते वहां उपचुनाव से आ जाते हैं. भगवंत मान ने कहा कि उपचुनाव से भी नहीं आए तो विधायकों को खरीद लेते हैं.

उन्होंने कहा कि पार्टियों के आपस में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश बचाने के लिए हमें इकट्ठा होना पड़ेगा. देश ही नहीं बचा तो पार्टियां क्या करेंगी? इस दौरान भगवंत मान ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना रूस के राष्ट्रपति पुतिन से करते हुए कहा, ''2024 में अगर ये आ गए तो संविधान को बदल देंगे और चुनाव नहीं कराएंगे. बोलेंगे कि मैं ही रहूंगा. नरेंद्र मोदी से नरेंद्र पुतिन बन जाएंगे. ये यही कहेंगे कि 35-40 सालों के लिए सिर्फ मैं ही रहूंगा.''

ये भी पढ़ें- Karnataka Hijab Ban: हिजाब बैन के मसले पर फैसला लेने जा रही है कर्नाटक की सरकार? मंत्री जी परमेश्वर ने बताया

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