(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Farmers Tribute: केजरीवाल ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के साथ किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को दी श्रद्धांजलि
Farmers Tribute in Chandigarh: चंडीगढ़ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान और तेलंगाना के सीएम केसीआर ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
Arvind Kejariwal Politics: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने रविवार को चंडीगढ़ में श्रद्धांजलि सभा के दौरान गलवान घाटी के शहीदों और किसान आंदोलन के दौरान शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी. केजरीवाल और पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान की मौजूदगी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने गलवान घाटी के शहीदों और किसान आंदोलन के दौरान अपनी शहादत देने वाले किसानों के परिवारों को सम्मान राशि भेंट की. इस अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत, तेलंगाना के मंत्री प्रशांत रेड्डी, सांसद नामा नागेश्वर राव, सांसद वेंकटेश नेथा और तेलंगाना के मुख्य सचिव सुमेश कुमार, पंजाब के मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और शहादत देने वाले लोगों के परिजन समेत कई लोग मोजूद रहे.
शहादत देने वालों को श्रद्धांजलि देने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो आप लोगों ने अपनों को खोया है, उनकी जान की कीमत नहीं लगाई जा सकती है. अपना कोई चला जाता है, तो उसकी कोई कीमत नहीं होती है. आज इस सम्मान राशि को देने का एक ही मकसद है कि हम आप सब लोगों को यह कहना चाहते हैं कि पूरा देश आपके साथ है. हमें उन लोगों पर गर्व है, जिन जवानों ने गलवान घाटी में शहादत दी और जिन किसानों ने देश के अंदर किसानी को बचाए रखने के लिए एक साल तक संघर्ष किया और इस दौरान अपनी शहादत दी. ये आंदोलन पंजाब और हरियाणा के किसानों का ही नहीं था, बल्कि यह आंदोलन पूरे देश का था. इसीलिए इस भावना के साथ आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तेलंगाना से आप लोगों को एक-एक सम्मान राशि देने के लिए आप लोगों के बीच आए हैं. ये किसी एक राज्य या एक वर्ग का आंदोलन नहीं था.
आंदोलन की भावना आंदोलन में शामिल होने वाला ही समझ सकता है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे याद है कि सबसे पहले किसान हरियाणा और पंजाब से चले थे और किसानों ने दिल्ली की तरफ कूच किया था और अभी किसान रास्ते में ही थे, तभी हमारे पास एक फाइल आई कि किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं, इन सभी किसानों को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली के सभी स्टेडियम को जेल बनाना है, ताकि जब किसान दिल्ली में प्रवेश करेंगे, तो हम सभी को जेल में कैद कर लेंगे. क्योंकि जो मौजूदा जेल है, वो इतनी बड़ी जेल नहीं थी, जिसमें इतने सारे किसानों को कैद किया जा सके. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं भी अन्ना आंदोलन से निकला हुआ हूं. अन्ना आंदोलन के दौरान हम लोगों के साथ भी यही हुआ था. अन्ना आंदोलन के दौरान जितने लोग रामलीला मैदान और जंतर मंतर पर आते थे, उन सबको जब सरकार गिफ्तार करती थी, तो जेलें छोटी पड़ जाती थी. तो वो हम सबको स्टेडियम में रखते थे. मैं समझ गया कि यह किसानों के आंदोलन को खत्म करने की एक साजिश है. जो किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच रहे और दिल्ली में प्रवेश करने के बाद अगर उन सबको स्टेडियम के अंदर कैद कर दिया जाता है, तो उसके बाद किसान आंदोलन स्टेडियम के अंदर ही रह जाता. किस्मत अच्छी थी कि स्टेडियम को जेल में बदलने की पावर हमारे पास थी. केंद्र सरकार के द्वारा हमारे उपर बहुत दबाव डाला गया, लेकिन हमने करने से मना कर दिया. हमने कहा कि स्टेडियम को जेल में नहीं बदलेंगे. इसके बाद सारे लोग बहुत नाराज हुए, लेकिन हम किसानों के साथ खड़े रहे. उनके बाद किसानों के लिए पानी का इंतजाम, लंगर, टायलेट का इंतजाम दिल्ली सरकार ने किया. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि इस पूरे हवन में मुझे भी संघर्ष कर रहे अपने किसान भाइयों की सेवा करने का मौका मिला. जिस तरह से हम सेवा कर सकते थे, हमने सेवा करने की कोशिश की.
किसानों की आमदनी बढ़ाने पर है जोर
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जबसे पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तब से हमारी सबसे पहली कोशिश यह है कि किस तरह से किसानों की आमदनी को बढ़ाया जाए. हम पूरी तरह से इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब तक किसानों की आय को नहीं बढ़ाया जाएगा, किसान देश के अंदर हमेशा दुखी रहेगा, आत्महत्या करता रहेगा, हमेशा कर्ज में डुबा रहेगा, घर में कोई बीमार हो जाएगा, उसके लिए कर्ज लेगा. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान साहब भी किसानी पृष्ठभूमि से आते हैं. इसीलिए, भगवंत मान साहब ने एक निर्णय लिया कि जब तक अगली फसल नहीं उगाते हैं, तब तक मूंग की फसल ही उगाते हैं और मूंग की फसल पर पंजाब सरकार एमएसपी देगी. ये निर्णय ऐसा व्यक्ति ही ले सकता था, जो जमीन से जुड़ा हुआ है, जिसको किसानी के बारे में पता है. ये पहले वाली सरकारें भी ले सकती थीं, लेकिन मान साहब ने यह निर्णय लिया कि मूंगे के ऊपर एमएसपी दी जाएगी. पंजाब की ‘आप’ सरकार ने दूसरा निर्णय यह लिया कि जो लोग सीधे सीडिंग करेंगे, उनको डेढ़ हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता दी जाएगी.
दिल्ली मॉडल की तरह पंजाब में भी एक मॉडल तैयार हो
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आने वाले समय में भी हम ऐसे बहुत से निर्णय लेना चाहते हैं. दिल्ली के अंदर हमने बहुत से अच्छे काम किए हैं. आज दिल्ली के स्कूलों की खूब चर्चा होती है कि स्कूल खूब शानदार बन गए. दिल्ली के अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिक, बिजली की खूब चर्चा होती है. हम पंजाब के भी स्कूल ठीक करेंगे, पंजाब के अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक खोलेंगे और बिजली भी ठीक करेंगे. पंजाब के अंदर किसानी एक बड़ा मुद्दा है. हमारा मकसद है कि जिस तरह हमने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली को मॉडल बनाया, ऐसे ही पंजाब के अंदर किसानों के साथ मिलकर किसानी को एक मॉडल के रूप में पूरे देश में ही नहीं, पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. आज एक वकील का बेटा वकील बनना चाहता है. एक फिल्म एक्टर का बेटा फिल्म एक्टर बनना चाहता है और डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनना चाहता है. लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है, क्योंकि किसानी फायदे का सौदा नहीं बचा है. मुझे पूरा यकीन है कि हम लोग पंजाब के अंदर ऐसा मॉडल तैयार करेंगे किसान का बेटा बड़ा होकर कहेगा कि पिताजी, मुझे भी किसान बनना है, मुझे किसी और धंधे के अंदर नहीं जाना है. मुझे पूरा विश्वास है कि पंजाब के साढ़े तीन करोड़ लोगों के साथ मिलकर हम ऐसा मॉडल तैयार कर पाएंगे और ऐसे मॉडल को लागू कर पाएंगे.
किसानों की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं
इस अवसर पर तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि ये कोई खुशी की बात नहीं है, बल्कि दुख की बात है. अफसोस है कि आजादी के 75 साल बाद हम लोगों को इस तरह की सभाएं करनी पड़ जाती हैं. आंखों में पानी आ जाता है. बड़ा दर्द होता है. आखिर हमारा देश ऐसा क्यों है? इसके बारे जरूर चिंता करने की जरूरत है. हर चीज के लिए हर किसी को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसकी जड़ कहां है और इसकी वजह क्या है? इस चीज पर जरूर चर्चा हो. ऐसा नहीं है कि किसी देश में समस्या नहीं है, लेकिन हमारे पास जिस प्रकार की समस्याएं हैं, इस प्रकार की कहीं भी नहीं होती हैं. आप लोगों के परिजनों ने किसान आंदोलन चलाते हुए जो शहादत दी है. केंद्र सरकार को मजबूर करके अपने कानून वापस लेने तक आपने जो लड़ाई जारी रखी, मैं उन तमाम किसान नेताओं, किसान भाइयों को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं. जो लोग शहीद हुए, हम उनको वापस तो ला नहीं सकते हैं, लेकिन हम हमदर्दी जरूर जता सकते हैं कि आप अकेले नहीं हैं, आपके साथ सारा देश है.
पंजाब एक ऐसी महान धरती है, जहां से शहीद-ए-आजम भगत सिंह आजादी का जंग लड़े थे. पंजाब ने देश के लिए दो महत्वपूर्ण योगदान दिया है. एक, आजादी के जंग में जिस प्रकार की कुर्बानियां पंजाब ने दी है, हिन्दुस्तान का इतिहास कभी नहीं भूल सकता है. उसके बाद जब सारा देश खाने के लिए परेशान था. पहला, हरित क्रांति पंजाब में लाकर, अपना खून-पसीना बहाकर पंजाब के किसानों ने जिस प्रकार से देश को अन्न दिया, यह भी पंजाब का बहुत बड़ा योगदान है. यह कभी भूला नहीं जा सकता है. हिन्दुस्तान के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखित रहेंगे.
पंजाब में सरकार बनते ही किसानों का ध्यान रखा
पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार ने पद संभालने से अब तक बड़ी मुश्किल से दो महीनों में किसानों की भलाई के लिए कई मिसाली कदम उठाए हैं, जिनमें मूँग की किश्त को उत्साहित करने के लिए उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने, धान की सीधी बुवाई के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ देने के इलावा फ़सलीय विभिन्नता के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने हमारे किसान को अन्नदाता से भीखारी बना दिया है और हमारी सरकार इसको फिर इसका अन्नदाता का छिन चुका रुतबा दिलाने में हर संभव कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि मेरी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता किसानी का न केवल कर्ज़ माफ करना, बल्कि उनको कर्ज़ मुक्त करना है जिससे वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें. दिल्ली की सीमा पर किसान संघर्ष के दौरान शहीद हुए किसानों के पीड़ित परिवारों के साथ दुख सांझा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आपके प्यारों को वापस तो नहीं ला सकते और न ही दुनिया की किसी करैंसी से इस अपूर्णीय घाटे की भरपाई जा सकती परन्तु फिर भी इस दुख की घड़ी में हम उनके साथ खड़े हैं. गलवान घाटी के शहीदों के परिवारों के साथ हमदर्दी प्रकट करते हुए भगवंत मान ने कहा कि उनकी शहादत को किसी भी सूरत में अनदेखा नहीं जा सकता क्योंकि उनकी तरफ से अनेकों दिक्कतें सहन करके हम अपने-अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं, जब वह जैसलमेर जैसे इलाकों में 50 डिग्री की असहणीय गर्मी और माईनस 20 से 25 डिग्री जैसे तापमान में कारगिल जैसे बर्फ़ीले मौसम में ड्यूटी निभा रहे होते हैं.
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