Arvind Kejriwal CBI: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने करीब 9 घंटे तक पूछताछ की. इस दौरान उनसे एजेंसी की तरफ से 50 से ज्यादा सवाल पूछे गए. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये लोग आम आदमी पार्टी को खत्म करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री से पूछताछ के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया. नेताओं ने सवाल उठाया कि जनता के चुने गए मुख्यमंत्री से घंटो तक पूछताछ कर उन्हें परेशान किया जा रहा है.


हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी सिटिंग सीएम से किसी एजेंसी ने घंटों तक पूछताछ की. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी यही सब हो चुका है. साल 2010 में उनसे गुजरात दंगों के मामले में एसआईटी ने 9 घंटे तक पूछताछ की थी, तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे.


अरविंद केजरीवाल से सीबीआई दफ्तर में पूछताछ
बात पहले अरविंद केजरीवाल से हुई सीबीआई पूछताछ की कर लेते हैं. दिल्ली के सीएम को सीबीआई की तरफ से नोटिस जारी किया गया था. जिसमें सीबीआई ने उन्हें दिल्ली शराब घोटाला मामले में पेश होने के लिए कहा. 16 अप्रैल को केजरीवाल सीबीआई दफ्तर पहुंचे और उनके साथ ही AAP के तमाम नेता भी प्रदर्शन करने सीबीआई दफ्तर के बाहर पहुंच गए. केजरीवाल करीब 9 घंटे बाद सीबीआई दफ्तर से बाहर निकले और उन्होंने अधिकारियों की तारीफ की. केजरीवाल ने बताया कि उन्होंने सीबीआई के सभी सवालों के जवाब दिए. साथ ही दिल्ली के सीएम ने इस पूरे मामले को ही फर्जी बताया. 


क्या है शराब घोटाला?
दरअसल दिल्ली सरकार की तरफ से 2021 में नई शराब नीति को लागू करने का फैसला लिया गया था. इसके तहत कई तरह के बदलाव भी किए गए. इसमें शराब के प्राइवेट ठेके खोलने का प्रावधान था. यानी निजी हाथों में शराब का पूरा कारोबार दे दिया गया. दिल्ली सरकार ने कहा कि इससे शराब माफिया का अंत हो जाएगा. हालांकि इस पॉलिसी को लाने के बाद दिल्ली सरकार को फायदा होने की बजाय नुकसान झेलना पड़ा. सरकार को शराब से मिलने वाले राजस्व में कमी आ गई. इसके बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने इसकी शिकायत एलजी से की थी. बाद में एलजी की तरफ से सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई. सीबीआई ने केस दर्ज किया और अधिकारियों की गिरफ्तारी शुरू हो गई. बाद में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया. 


नरेंद्र मोदी से गुजरात में हुई थी पूछताछ
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ही तरह गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी से भी 2010 में एसआईटी ने पूछताछ की थी. 27 मार्च 2010 को हुई ये पूछताछ भी करीब 9 घंटे से ज्यादा वक्त तक चली. नरेंद्र मोदी से 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर पूछताछ हुई, जिसमें एसआईटी की तरफ से करीब 100 सवाल पूछे गए थे. इस दौरान मोदी ने एसआईटी की तरफ से ऑफर की गई चाय तक लेने से इनकार कर दिया था. 


एसआईटी पूछताछ के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की जांच के लिए जो एसआईटी की रचना की है, एसआईटी ने मुझको एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें 27 तारीख को मिलने के लिए बताया था. आज मैं एसआईटी के सामने प्रस्तुत हूं. उन्होंने मेरे से विस्तार से बातचीत की है. वो जो सवाल पूछ रहे थे उनका मैं जवाब दे रहा था. मैंने पहले ही कहा है कि भारत का संविधान और कानून सुप्रीम है. एक नागरिक और मुख्यमंत्री होने के नाते मैं कानून से बंधा हुआ हूं. कोई भी व्यक्ति कानून के ऊपर नहीं हो सकता है."


क्या था गुजरात दंगा मामला?
अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए. कुछ महीने सब कुछ ठीक चला, लेकिन फरवरी 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगा दी गई, जिसमें करीब 59 कारसेवकों की मौत हो गई. इसके बाद एक समुदाय पर इसका आरोप लगा. इसके ठीक बाद गुजरात के कई इलाकों में दंगे फैल गए. कई लोगों के घर जला दिए गए और सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई. गुजरात के अलग-अलग इलाकों में नरसंहार हुए, कई लोगों को हथियारों से मारा गया तो कई को जिंदा जला दिया गया. वहीं कुछ लोगों को बिजली की नंगी तारें छोड़कर मार दिया गया. करीब एक हजार लोगों की इन दंगों में मौत हुई थी, जिनमें 700 से ज्यादा मुस्लिम थे. 


गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए गए. आरोप था कि नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को भड़कती हिंदू भावनाओं को नहीं रोकने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद ये कत्लेआम हुआ. हालांकि लंबी कानूनी लड़ाई और जांच के बाद नरेंद्र मोदी को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी उन्हें गुजरात दंगा मामले में क्लीन चिट मिली है. हालांकि अरविंद केजरीवाल की ये कानूनी लड़ाई कितनी लंबी चलती है और इस मामले में उन्हें कब तक राहत मिलती है ये अभी नहीं कहा जा सकता है.