नई दिल्ली: दिल्ली में कांग्रेस के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उसपर निशाना साधा है. केजरीवाल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह परोक्ष रूप से बीजेपी से मिली हुई है और बीजेपी को लोकसभा चुनाव में फायदा पहुंचा रही है.


दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, '' ऐसे समय में जब पूरा देश मोदी-शाह की जोड़ी को हराना चाहता है, कांग्रेस बीजेपी विरोधी वोटों को विभाजित करके बीजेपी की मदद कर रही है. अफवाह है कि कांग्रेस और बीजेपी के बीजेपी के बीच गुप्त साझेदारी है. दिल्ली कांग्रेस-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है. लोग इस अपवित्र गठबंधन को हरा देंगे.''



गौरतलब है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों पर आज उस वक्त विराम लग गया जब आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि पार्टी दिल्ली में गठबंधन नहीं करेगी. शीला दीक्षित ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद यह बयान दिया है. दरअसल, आप से गठबंधन को लेकर कांग्रेस में दो राय थी. शीर्ष नेतृत्व आप से गठबंधन करने के पक्ष में था तो वहीं पार्टी का एक धड़ा गठबंधन के विरोध में था.


राहुल गांधी ने आज दिल्ली में गठबंधन हो या नहीं इसपर चर्चा के लिए बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी को सलाह दी कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना सही नहीं होगा. बैठक में शीला दीक्षित, पीसी चाको, कुलजीत नागरा, सुभाष चोपड़ा, जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन, देवेंद्र यादव, राजेश लिलोठिया और हारून यूसुफ मौजूद थे.


बता दें कि आम आदमी पार्टी को एक समय में कांग्रेस का धुर विरोधी माना जाता था. 2013 से पहले और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और यहीं से राजनीतिक करियर की शुरुआत की. 2013 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर पहली बार दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी को 31, आप को 28 और कांग्रेस को आठ सीटें मिली. यानि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली. कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया और केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.


47 दिनों तक सरकार चलाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. फिर लोकसभा चुनाव के बाद 2015 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक 67 सीटें हासिल की. कांग्रेस शून्य पर सिमट गई और बीजेपी ने मात्र तीन सीटें हासिल की.


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