Defamation Case: सीएम केजरीवाल, संजय सिंह ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा, मानहानि केस की कार्यवाही पर रोक लगाने की अपील
PM Modi's Degree: मानहानि मामले में अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और मेट्रोपोलिटन अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की अपील की है.
PM Modi Degree Defamation Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने बुधवार (9 अगस्त) को आपराधिक मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वे सेशंस कोर्ट में अपनी पुनरीक्षण याचिका (Revision Plea) के निपटारे तक आपराधिक मानहानि केस में होने वाली कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर उनके तंज और कथित अपमानजनक बयान पर गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से दायर मानहानि मामले में एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने दोनों नेताओं को 11 अगस्त को तलब किया था.
सत्र अदालत से नहीं मिली अंतरिम राहत
इसके बाद केजरीवाल और सिंह ने मानहानि मामले में मेट्रोपोलिटन अदालत के समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया था, जिसमें उन्होंने सत्र अदालत से अंतरिम राहत मांगी थी, हालांकि, अदालत ने इसे पिछले शनिवार को खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
मेट्रोपोलिटन कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की अपील
दोनों नेताओं ने अपनी याचिका में गुजरात हाई कोर्ट से आपराधिक मानहानि मामले में मेट्रोपोलिटन अदालत की कार्यवाही पर तब तक रोक लगाने की अपील की है जब तक कि सेशंस कोर्ट उनकी पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई नहीं कर ले. मामले में उनके वकील पुनीत जुनेजा ने बताया कि उन्होंने अदालत से पुनरीक्षण याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.
गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दायर किया था केस
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट की ओर से पीएम मोदी की डिग्री पर मुख्य सूचना आयुक्त का आदेश रद्द किए जाने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
यूनिवर्सिटी को बनाया निशाना
शिकायतकर्ता ने कहा, ''उन्होंने पीएम मोदी की डिग्री को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाया. साथ ही मीडिया और ट्विटर पर अपमानजनक बयान दिए. उनकी टिप्पणियां अपमानजनक और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली हैं. उनके बयान व्यंग्यात्मक थे और उनका इरादा विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना था.''