नई दिल्ली: दिल्ली में पानी की शुद्धता को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के अपने-अपने दावे हैं. यह मुद्दा आज संसद में भी गूंजा. इस बीच केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने दिल्ली में पेयजल की खराब गुणवत्ता का जिक्र करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम द्वारा पानी के नमूने एकत्र किये जाने और प्रयोगशाला में जांच कराने का सोमवार को भरोसा दिलाया.


पासवान ने कहा, ‘‘दिल्ली का एक भी विधायक यह कह दे (नहीं कह सकते) कि हमारे इलाके में पानी स्वच्छ मिलता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) के दो-तीन अधिकारी देते हैं और दो-तीन अधिकारी आप (दिल्ली सरकार) दे दीजिए. वे जिस इलाके में भी चाहे संयुक्त रूप से पानी के नमूने एकत्र करें.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘ जिस भी प्रयोगशाला से होगा, हम उसकी जांच कराएंगे और रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे.’’


पासवान ने कहा, ‘‘आज दिल्ली में स्थिति यह है कि कोई भी व्यक्ति नल का पानी नहीं पी सकता (बगैर फिल्टर किये या गर्म किये). नल से नीला-पीला पानी निकलता है.’’ उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा गरीब तबके के और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग तथा बच्चे प्रभावित होते हैं.


केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में पानी के नमूने मंगाये थे लेकिन प्राथमिक स्तर पर ही ये सभी नाकाम साबित हो गये. जबकि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का दावा है कि यह (पानी) यूरोपीय मानदंडों के अनुरूप है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘तीन अक्टूबर को हमने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी. मीडिया के समक्ष प्रस्तुतिकरण दी गई. इसमें (स्वच्छ पेयजल) के मामले में मुंबई शीर्ष पर रहा जबकि दिल्ली सबसे निचले स्थान पर रहा था.’’


इससे पहले, बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली में पानी की गुणवत्ता का विषय उठाते हुए कहा कि दिल्ली में (आप नीत) सरकार द्वारा स्वच्छ पेयजल आपूर्ति पर जो रकम खर्च की जानी चाहिए थी उसे सब्सिडी देने में खर्च किया जा रहा है. पानी की पाइपें खराब हो रही हैं.


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वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्रियों पर ‘गंदी राजनीति’ करने और यह बयान देकर लोगों को डराने का आरोप लगाया कि शहर का पेयजल जहरीला है. केजरीवाल ने कहा कि शहर के प्रत्येक वार्ड से सार्वजनिक रूप से औचक तरीके से पानी के पांच नमूने लिये जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने 1.55 लाख पानी के नमूने लिये जिसमें से सिर्फ 1.5 फीसदी परीक्षण में विफल रहे.


केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने शनिवार को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया है कि दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई के पेयजल 11 में से 10 गुणवत्ता मापदंडों पर खरे नहीं उतरे.


मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ यह गंदी राजनीति है, केंद्रीय मंत्री जिस तरह से कह रहे हैं कि दिल्ली का पानी जहरीला है, उससे लोग डर गये हैं.’’ केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन ने शनिवार को कहा कि केजरीवाल मुफ्त जलापूर्ति के नाम लोगों को जहर दे रहे हैं और मांग की कि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.


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उन्होंने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, प्रति 10 हजार की आबादी पर एक नमूने का परीक्षण किया जाना चाहिये. इसलिये, 11 की जगह परीक्षण के लिये कम से कम 2500 नमूनों की आवश्यकता होगी.’’


केजरीवाल ने कहा कि वह यह नहीं बता रहे हैं कि पानी के 11 नमूने कहां से लिये गये. उन्होंने कहा, ‘‘ उन्होंने यह नहीं बताया कि नमूने कहां से लिये गये. लेकिन हम पारदर्शी तरीके से हर वार्ड से यादृच्छिक नमूने लेंगे और उसका परीक्षण करेंगे.’’


उन्होंने यह भी कहा कि पहले केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली के पानी को यूरोपीय मानकों से भी बेहतर बताया था. उन्होंने कहा, ‘‘ शेखावत और पासवान केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. वे तय करें कि कौन सही हैं.’’ अपने सर्वेक्षण के पहले चरण में बीआईएस ने पाया कि दिल्ली के 11 सैंपल गुणवत्ता मापदंड पर खरे नहीं उतरे और पाइप से पहुंचाया जा रहा पानी पीने के लिये सुरक्षित नहीं है.