नई दिल्ली: लाभ का पद विवाद में बीस विधायकों की कुर्सी फंसने बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है. केजरीवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि अंत में जीत सच्चाई की होती है.


केजरीवाल ने ट्वीट किया, ''जब आप सच्चाई और ईमानदारी पर चलते हैं तो बहुत बाधाएं आती हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है पर ब्रह्मांड की सारी दृश्य और अदृश्य शक्तियां आपकी मदद करती हैं. ईश्वर आपका साथ देता है क्योंकि आप अपने लिए नहीं, देश और समाज के लिए काम करते हैं. इतिहास गवाह है कि जीत अंत में सचाई की होती है.''



दरअसल लाभ का पद मामले में चुनाव आयोग ने AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है. आयोग ने माना कि विधायक संसदीय सचिव के तौर पर लाभ के पद पर थे. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी है.


आयोग की सिफारिश पर अभी राष्ट्रपति का फैसला आना बाकी है लेकिन ये तय माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिश पर ही राष्ट्रपति भी मुहर लगाएंगे. आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट में भी अपील की लेकिन वहां भी उसे फटकार पड़ी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आप अपनी मर्जी से तय करते हैं कि चुनाव आयोग जाना है कि नहीं.


आम आदमी पार्टी का कहना है कि किसी भी विधायक ने लाभ के पद की सुविधा नहीं ली, विधायकों को अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं मिला. लाभ के पद में बीस विधायकों के फंसने के बाद बीजेपी कांग्रेस ने केजरीवाल से इस्तीफा मांगा है. 2015 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया गया था.


नियमों के मुताबिक एक संसदीय सचिव हो सकता है लेकिन केजरीवाल ने 21 बना दिए. नियम के मुताबिक विधायक और सांसद लाभ के पद पर नहीं रह सकते. किसी दूसरे सरकारी पद के लिए वेतन, ऑफिस और कार जैसी सुविधा लेने पर रोक है. अगर लाभ का पद लेते हैं तो विधायक, सांसद की सदस्यता रद्द हो जाती है.


कुछ राज्यों में लाभ के पद के लिए कानून है लेकिन दिल्ली सरकार कानून नहीं बना सकती. चुनाव आयोग के फैसले के साथ ही दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है, अब जल्द ही 20 सीटों पर उपचुनाव भी देखने को मिल सकता है.


इनकी कुर्सी जाना तय!
आम आदमी पार्टी के 20 विधायक जिनकी कुर्सी जाना तय है उनमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं.


इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.