नई दिल्ली: भारत को लेकर एक और रिपोर्ट ने चिंता की लकीरें खींच दी है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2019 के मुताबिक, भारत 117 देशों की रैंकिंग में 102 पायदान पर है. यानि एशिया में इसकी स्थिति कई पड़ोसी देशों से भी खराब है. रिपोर्ट में चीन 25वें, पाकिस्तान 94, बांग्लादेश 88वें, नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें और श्रीलंका 66 वें पायदान पर है. बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत जीएचआई रैंक में अव्वल हैं.
जीएचआई इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट से संबंधित आयरलैंड की ऐड एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन ऑर्गेनाइजेशन वेल्ट हंगर तैयार करते हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में 100 प्वाइंट्स पर किसी भी देश को रैंक किया जाता है. भारत का स्कोर 30.3 है जो इसे सीरियस हंगर कैटेगरी में लाता है.
जितने कम प्वॉइंट्स होते हैं ठीक हालात की तरफ इशारा करते हैं. भुखमरी की स्थिति दिखाने के लिए पांच वर्ग बनाए गए हैं.- 0 से 9.9 मध्यम, 10.0 से 19.9 मध्यम, 20.0 से 34.9 गंभीर, 35.0 से 49. 9 भयावह और 50.0 से...को अति भयावह.
2015 से अब तक
बता दें कि भारत साल 2015 में 93वें, 2016 में 97वें, 2017 में 100वें और साल 2018 में 103वें स्थान पर रहा था. रिकॉर्ड दिखाते हैं कि भुखमरी को लेकर भारत में संकट बरकरार है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स किसी देश में कुपोषित बच्चों के अनुपात, पांच साल से कम उम्र वाले बच्चे जिनका वजन या लंबाई उम्र के हिसाब से कम है और पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में मृत्यु दर के आधार पर तैयार की जाती है.
ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बच्चों में कुपोषण की स्थिति भयावह है. देश में 20.8 फीसद बच्चों का पूर्ण शारीरिक विकास नहीं हो पाता, इसकी बड़ी वजह कुपोषण है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 6-23 महीनों के बच्चों में मात्र 9.6% बच्चों को न्यूनतम स्वीकार्य आहार खिलाया जाता है.