दुश्मन से ज्यादा तनाव ले रहा है भारतीय सैनिकों की जान, यूएसआई की स्टडी में खुलासा
रक्षा मंत्रालय के थिंकटैंक, यूएसआई (यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया) की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि आधी से ज्यादा फौज तनाव से गुजर रही है. सैनिकों की मौत दुश्मन से ज्यादा तनाव ले रहा है.
नई दिल्ली: भारतीय सैनिकों की जान दुश्मन से ज्यादा तनाव ले रहा है. इस तनाव के चलते सैनिक आत्महत्या कर रहे हैं या फिर साथी-सैनिकों की हत्या तक कर रहे हैं. ये तनाव पिछले दो दशक से आतंकवाद और उग्रवाद से जूझने के कारण तो हो ही रहा है, साथ ही छुट्टी ना मिलना, अच्छा भोजन ना मिलना, मोबाइल फोन के इस्तेमाल से रोक, और वरिष्ट अफसरों के दुर्व्यवहार के चलते हो रहा है. विवाद बढ़ता देख यूएसआई ने सेना में तनाव पर अपनी रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा दिया है.
यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की एक स्टडी में सामने आई ये बात रक्षा मंत्रालय के थिंकटैंक, यूएसआई (यूनाईटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया) की एक स्टडी में ये सामने आया है. ये रिसर्च एक कर्नल रैंक के अधिकारी ने करीब एक साल तक चली रिसर्च के बाद पेश की है. इस पर यूएसआई में पिछले साल अक्टूबर में एक वेबिनार आयोजित किया गया था. जिसके बाद ये रिपोर्ट थिंकटैंक की वेबसाइट पर अपलोड की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल 100 जवानों की मौत इसी तनाव के चलते हो रही है. साथ ही आधी से ज्यादा फौज तनाव से गुजर रही है. रिपोर्ट मे कहा गया कि सेना में इतनी जानें ऑपरेशनल कारणों से भी नहीं होती हैं. आतंकवादियों से या फिर एलओसी, एलएसी पर दुश्मन से लड़़ते हुए. ये रिपोर्ट आर्म्ड फोर्सेज़ मेडिकल सर्विस कोर (एएफएमएस) के आंकड़ों पर आधारित है.
रिपोर्ट मे कहा गया है कि जेसीओ (सूबेदार इत्यादि) और जवानों द्वारा माना गया कि तनाव का मुख्य कारण छुट्टी ना मिलना (या फिर देर से मिलना), सेना के सोशल फंक्शन्स में अत्यधिक व्यस्तता,सेना की अधिकारियों की पत्नियों की संस्था में जवानों को व्यस्त रखना से लेकर जवानों की घरेलू समस्याएं और वरिष्ठ अफसरों द्वारा दुर्व्यवहार बताया गया है.
इन कारणों से बढ़ रहा है तनाव स्टडी के मुताबिक, मोबाइल के उपयोग पर प्रतिबंध, मनोरंजक सुविधाओं की कमी, साथी जवानों य़ा फिर सीनियर्स से लड़ाई-झगड़ा, स्वास्थ्य समस्याएं, ट्रेन आरक्षण ना मिलना भी जवानों में तनाव का बड़ा कारण है. प्रशासनिक सहायता ना मिलना वित्तीय समस्याएं, पदोन्नति में पारदर्शिता की कमी, यूनिट (रेजीमेंट) के लिए तौर-तरीके ना मानना और वित्तीय समस्याएं भी इस तनाव का कारण बताया गया है.
तनाव की मुख्य वजहें यूएसआई की रिपोर्ट में सेना के अधिकारियों में तनाव का कारण कुछ और बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना में नेतृत्व की गुणवत्ता (क्वालिटी-लीडरशिप) ना होना, अधिक संख्या में प्रतिबद्धताएं, अपर्याप्त संसाधन, लगातार अव्यवस्थाएं, पोस्टिंग और पदोन्नति में निष्पक्षता और पारदर्शिता की कमी, वेतन और स्टेट्स में गिरावट, जीरो-एरर सिंड्रोम, प्रमोशन ना मिलना बताया गया है. इसके अलावा सरकारी आवास ना मिलना, अपर्याप्त शैक्षिक सुविधाएं, कनिष्ठों के बीच प्रेरणा की कमी, छुट्टी ना मिलना, सिविल अधिकारियों का सेना के प्रति उदासीन रवैया और छोटा टेनयोर यानि एक पोस्टिंग पर छोटा कार्यकाल भी इस तनाव की मुख्य वजहें हैं.
सेना को तनाव कम करने की अपनी मौजूदा रणनीति में फेरबदल की सलाह इन सबके बावजूद, रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जवानों और जेसीओ में अपनी वर्दी के प्रति संतुष्टी और गर्व है जबकि ऐसा अफसरों में नहीं है जो बड़ी चिंता का विषय है जिसके लिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा. साथ ही सेना को भी सलाह दी गई है कि तनाव कम करने की अपनी मौजूदा रणनीति में फेरबदल करना होगा. क्योंकि इससे सैनिकों के मनोबल पर तो असर पड़ता है इससे ट्रेनिंग पर भी असर पड़ता है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि जवान तो सेना के नेतृत्व पर पूरी तरह विश्वास करते हैं और किसी भी विषम परिस्थिति में लड़ने के लिए तैयार हैं. लेकिन अफसर लीडरशिप पर विश्वास और भरोसा नहीं करते हैं.
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