नई दिल्ली: सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बने पूरे एक साल हो गया. पार्टी का नया पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने तक सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालती रहेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी की दूसरी इनिंग का प्रदर्शन पार्टी के लिए मिला जुला रहा. हालांकि पायलट की घर वापसी करवा कर सालगिरह के मौके को राहुल गांधी ने खुशगवार बना दिया.
लोकसभा चुनाव के फौरन बाद झारखंड में कांग्रेस ने जेएमएम के साथ शानदार प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में भी कांग्रेस ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया. हरियाणा में सोनिया गांधी ने अनुभवी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी की कमान परोक्ष रूप से सौंपी और पार्टी ने राज्य में दमदार वापसी की. हालांकि कांग्रेस मामूली अंतर से सरकार बनाने से चूक गई.
सबसे दिलचस्प रहा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ कांग्रेस, एनसीपी का सरकार बनाना. शिवसेना के साथ गठबंधन करने करना कांग्रेस के लिए बड़ा धर्मसंकट था. यहां भी सोनिया गांधी की सूझ-बूझ और उनके सबसे विश्वसनीय अहमद पटेल का राजनीतिक कौशल कांग्रेस के काम आया. सोनिया गांधी के आना जहां 2019 में कांग्रेस के लिए शुभ रहा वहीं साल की शुरुआत में दिल्ली में कांग्रेस को बेहद अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी के कारण मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई.
माना गया कि कांग्रेस आलाकमान ने समय रहते पार्टी के अंदरूनी झगड़े को खत्म करने की पहल नहीं कि और इसका बड़ा खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. कहा गया कि राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिलने का समय नहीं दिया. बहरहाल मध्यप्रदेश जैसा ही संकट जब राजस्थान में आया तो इस बार कांग्रेस तैयार थी. समय रहते एक तरफ सचिन पायलट से बात की वहीं इतने विधायकों को एकजुट करने में कामयाब रही जिससे कि सरकार कोई खतरा ना आए.
हालांकि इसमें सबसे अहम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अनुभव रहा. लेकिन पायलट के साथ डेढ़ दर्जन विधायकों की बगावत की वजह से गहलोत के सामने विश्वास मत हासिल करने की चुनौती बरकरार थी. आखिरकार राहुल गांधी ने सचिन पायलट से मुलाकात कर उन्हें मना लिया और राजस्थान कांग्रेस का राजनीतिक संकट खत्म फिलहाल खत्म हो गया.
राहुल और सचिन को मिलवाने में प्रियंका गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. बड़ी बात यह रही कि बीते एक साल में राहुल गांधी का यह पहला अहम फैसला था. कुल मिलाकर सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने की सालगिरह को राहुल गांधी ने कांग्रेस के लिए खुशगवार बना दिया. हालांकि आने वाले दिनों में बिहार, असम और बंगाल के चुनाव की चुनौती सोनिया गांधी के सामने है तो उन्हें पार्टी में बड़े पदों पर बदलाव भी करने हैं. केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व तो कांग्रेस के पास है लेकिन जनता के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बनाना एक बड़ी चुनौती है.
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने मई 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया और उन्हें मनाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं. इसके बाद 10 अगस्त 2019 को कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंप दी. सोनिया गांधी इससे पहले 1998 से 2017 तक 19 साल कांग्रेस अध्यक्ष रह चुकी हैं. जबकि राहुल गांधी करीब डेढ़ साल के लिए पार्टी के अध्यक्ष रहे.
बीते एक साल के दौरान कांग्रेस नेता समय समय पर राहुल गांधी को दुबारा पार्टी की कमान सौंपने की पैरवी करते रहते हैं लेकिन इसके लिए खुद राहुल को ही फैसला करना है और इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं है. बहरहाल माना जा रहा है देर सवेर राहुल गांधी की वापसी तय है. इस बीच पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमले करने से लेकर संगठन की महत्वपूर्ण बैठकों और फैसलों में नेतृत्व करते साफ तौर पर नजर आ रहे हैं. ताजा मामला 'बागी' सचिन पायलट की घर वापसी करवाने का है.
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