Muslim Officer In IB: भारत की खुफिया एजेंसियों के शीर्ष नेतृत्व में 'मुस्लिम अफसरों की कमी' पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी हमलावर हैं. ओवैसी ने गैर मुसलमानों की ओर इशारा करते हुए पूछा देश के लिए जासूसी करते पता कितने लोग पकड़े जाते हैं, क्या मुसलमानों की तरह इनसे सवाल किया जाएगा?
एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद सांसद ओवैसी ने सोमवार (24 जुलाई) को ट्वीट कर लिखा, भारत के जासूसी और इंटेलिजेंस एजेंसियों में मुस्लिम अफ़सरों की कमी वाले मेरे ट्वीट पर लोगों ने बहुत सारे सवाल उठाए. मुसलमानों से पूछा जाता है कि मज़हब और मुल्क के बीच में किसे चुना जाएगा.
'ये हवस और देश में किसे चुनेंगे?'
ओवैसी ने आगे कहा, पता नहीं कितने लोग देश की सुरक्षा का सौदा करते हुए पकड़े जाते हैं, ISI महिलाओं के फेक अकाउंट बना कर इन्हें फंसा लेती है. धर्म की बात तो दूर, क्या कोई इन्हें पूछेगा कि ये अपने हवस और देश के बीच किसे चुनते हैं?
मुस्लिम अफसरों की कमी पर सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने एक दिन पहले 23 जुलाई को ट्वीट कर देश की खुफिया एजेंसियों में मुस्लिम अफसरों की कमी पर सवाल उठाया था. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा था, दशकों में पहली बार, इंटेलीजेंस ब्यूरो के शीर्ष नेतृत्व में कोई मुसलमान अफसर नहीं होगा. ये मुसलमानों में बीजेपी के संदेह को दिखाता है. आईबी और रॉ खास बहुसंख्यकवादी संस्थान बन गए हैं. आप लगातार मुसलमानों से वफादारी का सबूत मांगते हैं, लेकिन कभी भी उन्हें बराबर का नागरिक स्वीकार नहीं करते.
साथ ही हैदराबाद सांसद ने एशियन एज की खबर का स्क्रीन शॉट शेयर किया था, जिसमें कहा गया था कि देश की इंटेलीजेंस ब्यूरो में कोई भी सीनियर आईपीएस महत्पूर्ण पद पर नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रतिष्ठित खुफिया एजेंसी में आखिरी मुस्लिम आईपीएस अफसर एस ए रिजवी (स्पेशल डायरेक्टर) को पिछले हफ्ते ही बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का सलाहकार नियुक्त कर दिया गया है. इसमें ये भी कहा गया कि हाल के सालों में आईबी में मुस्लिम आईपीएस अफसरों की संख्या कम हुई है.
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